हिंदू धर्म को बचाने के लिए धर्मगुरुओं को बुलानी चाहिए महापंचायत: सी.टी. रवि

चिक्कमगलुरु (कर्नाटक), 17 जून (आईएएनएस)। कर्नाटक सरकार द्वारा धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस लेने के कदम के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सी.टी. रवि ने शनिवार को कहा कि हिंदू धर्म को बचाने के लिए धर्मगुरुओं को फिर से धर्मांतरण कराने के लिए महापंचायत बुलानी चाहिए।
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चिक्कमगलुरु (कर्नाटक), 17 जून (आईएएनएस)। कर्नाटक सरकार द्वारा धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस लेने के कदम के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सी.टी. रवि ने शनिवार को कहा कि हिंदू धर्म को बचाने के लिए धर्मगुरुओं को फिर से धर्मांतरण कराने के लिए महापंचायत बुलानी चाहिए।

पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वास दिलाकर, चंदा देकर, चेतावनी देकर और सजा देकर फिर से धर्मांतरण कराया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, हिंदुत्व को अनिवार्य रूप से बचाने के लिए महापंचायत बुलानी चाहिए। धर्मगुरुओं, समुदाय के नेताओं, जगतगुरुओं की महापंचायत बुलाई जानी चाहिए। हमें खुद को और अपने देश को बचाने के लिए पहल करनी चाहिए और हमारी अपनी रणनीति विकसित होनी चाहिए। विभिन्न समुदायों के धर्मगुरुओं को फिर से धर्मांतरण के लिए कदम उठाने चाहिए।

धर्म परिवर्तन पर बने कड़े कानून को हटाकर कांग्रेस सरकार मौका दे रही है। जो लोग अलग-अलग कारणों से हिंदू धर्म से दूर हो गए हैं उन्हें हिंदू धर्म में वापस लाया जाना चाहिए। लोगों को वापस हिंदू धर्म में परिवर्तित किया जाना चाहिए।

रवि ने सवाल किया, धर्मातरण विरोधी कानून को रद्द करने के लिए कांग्रेस का क्या रुख है? क्या कांग्रेस जबरदस्ती धर्मातरण के पक्ष में है?, जबरन धर्मांतरण पर कांग्रेस पार्टी का क्या स्टैंड है?, क्या कांग्रेस जबरदस्ती धर्मातरण का समर्थन कर रही है?

उन्होंने आगे कहा कि मैंने मान लिया कि कांग्रेस डॉ बी.आर. अंबेडकर से नफरत करती है। यह भगत सिंह, राज गुरु और सुख देव से भी नफरत करती है। हम अपनी पाठ्यपुस्तकों को लोगों के सामने रखेंगे और उनसे पूछेंगे कि कंटेंट में क्या गलत है। इन शहीदों पर लेखक चक्रवर्ती सुलिबेले का पाठ छोड़ दिया गया है। उन्होंने अपने बारे में नहीं लिखा था। अम्बेडकर जब जीवित थे तब कांग्रेस ने उनका विरोध किया, उन्होंने उन्हें चुनाव में हराया और जब उनकी मृत्यु हुई तब भी उन्होंने उनका अपमान किया।

--आईएएनएस

पीके/सीबीटी

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