सीआरपीसी की धारा 64 के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया

नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 64 को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया।
 | 
सीआरपीसी की धारा 64 के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 64 को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया।

अधिवक्ता ज्योतिका कालरा के माध्यम से कुश कालरा द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि सिद्धांतमूलक सीआरपीसी समन प्राप्त करने के लिए परिवार की किसी वयस्क महिला सदस्य को सक्षम नहीं मानता।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने वकील की दलीलें सुनने के बाद केंद्र सरकार से जवाब मांगा।

दलील में कहा गया है कि धारा 64, जो परिवार के सदस्यों को तलब किए गए व्यक्ति की ओर से किसी महिला को समन प्राप्त करने के योग्य नहीं मानती, स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत महिलाओं के समानता के अधिकार का उल्लंघन करती है। जबकि अनुच्छेद 19 के तहत उन्हें समन के बारे में जानने का अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद 1(ए) और 21 के तहत उन्हें गरिमा पाने के अधिकार की गारंटी दी गई है।

याचिका में कहा गया है, सीआरपीसी की धारा 64 संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत पीड़ित के त्वरित सुनवाई के अधिकार को खतरे में डालती है। कार्यवाही में काफी देरी करने के अलावा, धारा 64 सीआरपीसी अन्य सभी संबंधित हितधारकों के लिए भी मुश्किलें पैदा करती है।

दलील में कहा गया है कि धारा 64 अनिवार्य रूप से इन स्थितियों के लिए जिम्मेदार नहीं है कि समन किया गया व्यक्ति केवल परिवार के महिला सदस्यों के साथ रहता है या जब समन की तामील के समय उपलब्ध एकमात्र व्यक्ति महिला हो।

याचिका में कहा गया है, ऐसी स्थिति की संभावना विशेष रूप से पुरुषों और महिलाओं के बीच कार्यबल में भारी लिंग अंतर के आलोक में अधिक है, यानी केवल 22 प्रतिशत भारतीय महिलाएं काम पर होती हैं, जिसका अर्थ है कि शेष 78 प्रतिशत महिलाएं घर पर रहती हैं।

--आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

WhatsApp Group Join Now