समुद्री सुरक्षा: हिंद महासागर क्षेत्र में विश्वास बढ़ाएगा, तालमेल में होगा सुधार
आईएफसी-आईओआर के निदेशक, कप्तान रोहित बाजपेयी और आरसीओसी के निदेशक, कैप्टन सैम गोंटियर के मुताबिक इसका उद्देश्य समुद्री डोमेन जागरूकता, सूचनाओं का आदान-प्रदान और विशेषज्ञता विकास को बढ़ाने के लिए दोनों केंद्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।
भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित आईएफसी-आईओआर की स्थापना 22 दिसंबर 2018 को भारत सरकार द्वारा गुरुग्राम में की गई थी, ताकि क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के भारत के ²ष्टिकोण के अनुरूप हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोगी समुद्री सुरक्षा को बढ़ाया जा सके। बेहतर आपसी सहयोग, संकुचित सूचना चक्र और समय पर इनपुट को सक्षम करने के लिए, आईएफसी-आईओआर भागीदार देशों के अंतर्राष्ट्रीय संपर्क अधिकारियों (आईएलओ) की मेजबानी भी करता है। आज तक केंद्र ने 12 भागीदार देशों - ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, इटली, जापान, मालदीव, मॉरीशस, म्यांमार, श्रीलंका, सेशेल्स, सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका से अंतर्राष्ट्रीय संपर्क अधिकारियों की मेजबानी की है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक हिंद महासागर आयोग (आईओसी) द्वारा कार्यान्वित पश्चिमी हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा संरचना को आरएमआईएफसी, आरसीओसी और सात हस्ताक्षरकर्ता देशों (कोमोरोस, जिबूती, फ्रांस, केन्या, मेडागास्कर, मॉरीशस और सेशेल्स) के राष्ट्रीय केंद्र द्वारा समर्थन प्राप्त है।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि स्थापना के बाद से, आईएफसी-आईओआर ने कई बहुराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा केंद्रों के साथ संबंध स्थापित किए हैं। वर्तमान पहल आईएफसी-आईओआर तथा आरसीओसी के बीच गहन सहयोग को सक्षम बनाएगी। यह ²ष्टिकोण केंद्र को गैर-पारंपरिक समुद्री सुरक्षा खतरों जैसे समुद्री डकैती और सशस्त्र डकैती, मानव एवं वर्जित तस्करी, अवैध अनियमित और असूचित मछली पकड़ने, हथियारों की तस्करी, अवैध शिकार और समुद्री आतंकवाद आदि का मुकाबला पश्चिमी हिंद महासागर पर विशेष ध्यान देते हुए करने के लिए एक सामान्य समुद्री समझ को प्रभावी ढंग से विकसित करने में मदद करेगा।
--आईएएनएस
जीसीबी/एएनएम