यूपी में बिजली खंभों का इस्तेमाल के बदले टेलीकाम और केबिल आपरेटर को देना होगा शुल्क
यूपी में दूरसंचार नेटवर्क सुविधा विनियमावली-2022 लागू हो गई है। नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह और सदस्य बीके श्रीवास्तव ने इसे मंजूरी दे दी है। कंपनियों से शुल्क वसूली के लिए बिजली विभाग की तरफ से टेंडर निकाला जाएगा। जिसे ठेका मिलेगा वही शुल्क की वसूली करेगी।
पावर कॉरपोरेशन की मानें तो इससे विभाग को तकरीबन 500 करोड़ की आय होने का अनुमान है। राज्य में करीब एक करोड़ बिजली के खंभे हैं। विभाग के अनुसार खंभे के इस्तेमाल से मिलने वाली फीस का 70 प्रतिशत हिस्सा बिजली दर में पास किया जाएगा। यानि वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) का हिस्सा होगा।
विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इस प्रक्रिया के कारण बिजली कंपनियों के खर्चें में कमी आएगी। जिसका नतीजा होगा कि बिजली दरें कम होंगी। कमाई का 30 प्रतिशत हिस्सा बिजली कंपनियों को दिया जाएगा। इस रकम को बिजली कंपनियां इंफ्रास्ट्रक्च र सुधारने में करेंगी। नियमों में यह व्यवस्था की गई है कि किसी भी कंपनी को 50 प्रतिशत से अधिक खंभों का टेंडर नहीं दिया जाएगा, ताकि किसी एक कंपनी का वर्चस्व न हो सके। तीन साल में एक बार शुल्क संसोधन किया जाएगा। नियमों में किसी भी तरह के बदलाव का अधिकार राज्य विद्युत नियामक आयोग को होगा।
खंभों के इस्तेमाल पर कितनी फीस वसूली जाएगी। यह टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाली कंपनियों की बोली के हिसाब से तय होगा। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि खंभों का इस्तेमाल करने वाली कंपनियां सुरक्षा के किसी भी मानक से खिलवाड़ नहीं कर सकती हैं।
--आईएएनएस
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