म्यांमार में बंधक बनाए गए 9 आईटी पेशेवर छूट कर तमिलनाडु पहुंचे
नौवां व्यक्ति केरल का है। वे गुरुवार सुबह चेन्नई पहुंचे।
केरलवासी तिरुवनंतपुरम के पास परसाला से हैं, जबकि आठ तमिल मदुरै, तिरुनेलवेली, नागरकोइल और कन्याकुमारी क्षेत्रों से हैं। नौ अपने-अपने घरों को रवाना हो गए हैं।
ये आईटी पेशेवर थाईलैंड में बड़े वेतन पैकेज के वादे के साथ आईटी कंपनियों में नौकरी के लिए गए थे और भारी एजेंसी कमीशन का भुगतान करने के उन्हें छोड़ा गया।
हालांकि थाईलैंड पहुंचने पर, युवकों को अवैध रूप से म्यांमार ले जाया गया और उन्हें साइबर ब्लैकमेलिंग और साइबर धोखाधड़ी सहित अवैध काम करने के लिए मजबूर किया गया।
बंधुआ मजदूर के रूप में फंसे लोगों में से कुछ ने अपने फोन में अपनी दुर्दशा को शूट करने में कामयाबी हासिल की और वीडियो को अपने परिवारों को भेजा, जिससे मामला खुला।
म्यांमार में लगभग 300 बंधुआ मजदूर हैं और जिन लोगों को आईटी कर्मचारी के रूप में लिया गया था, उनमें से अधिकांश सशस्त्र गिरोहों द्वारा शासित क्षेत्रों में थे, जहां सैन्य शासन की कम भूमिका है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मामले में हस्तक्षेप किया और विदेश मंत्रालय के सहयोग से 13 लोगों को म्यांमार से बचाया गया। अब भारत में नौ और लोगों के आने के साथ, भारत की पिछली कूटनीति काम करती दिख रही है।
--आईएएनएस
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