महाराष्ट्र सरकार ने रिफाइनरी विरोधी 8 कार्यकर्ताओं के खिलाफ निषेधाज्ञा रद्द की
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22 अप्रैल और 25 अप्रैल के दो आदेशों में राज्य सरकार ने 8 कार्यकर्ताओं को 31 मई तक उनके गांवों में प्रवेश करने से रोक दिया था और उन्हें अरब की मदद से प्रस्तावित 3 लाख करोड़ रुपये की आरआरपीएल परियोजना के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट करने से भी प्रतिबंधित कर दिया था।
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कार्यकर्ता हैं अमोल बोले, नितिन जठर, पांडुरंग जोशी, वैभव कोलवणकर, एकनाथ जोशी, कमलाकर गुरव, नरेंद्र जोशी और सतीश बाने। ये सभी गांव के निवासी हैं, जो पिछले 10 दिनों से मिट्टी परीक्षण शुरू होने के बाद से सैकड़ों अन्य ग्रामीणों और किसानों के समर्थन से परियोजना का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
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उनके वकील विजय हिरेमठ ने कहा, राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति रेवती मोहित-डेरे और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख को सूचित किया कि वह आदेशों को तुरंत वापस लेगी और अदालत ने तदनुसार याचिका का निस्तारण कर दिया।
8 कार्यकर्ताओं ने 29 अप्रैल को अपनी संयुक्त याचिका दायर की थी, जिसमें राज्य के आदेशों को विभिन्न बिंदुओं पर चुनौती दी गई थी कि उनके अधिकार कैसे प्रभावित हुए। प्रस्तावित मेगा-प्रोजेक्ट से राजापुर तालुका के कम से कम छह गांवों के प्रभावित होने की संभावना है, जो कि एक अन्य विशाल, प्रस्तावित जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना से बमुश्किल 8 किमी दूर होगा, जिसे स्थानीय विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है।
संयोग से, सरकार का यह कदम पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के शनिवार को विरोध करने वाले गांवों का दौरा करने और उनकी समस्याओं को समझने के दो दिन पहले आया है।
--आईएएनएस
केसी/एसजीके