भारत की 10, जर्मनी की 2 महिला शोधकर्ताओं को सम्मान, रिसर्च के लिए नहीं मांगना होगा अनुदान
दिल्ली में जर्मन दूतावास के प्रभारी स्टीफन ग्रैबर ने उद्योगों और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला और इन दो क्षेत्रों के बीच मजबूत साझेदारी और ज्ञान-साझाकरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।
आईजीएसटीसी के निदेशक आर माधन ने उन महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और उपलब्धियों पर जोर दिया, जिन्होंने भारत और जर्मनी के बीच एक मजबूत साझेदारी को बढ़ावा दिया है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक, इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर ने 14 जून को अपना 13वां स्थापना दिवस समारोह मनाया, ताकि इसकी उपलब्धियों और वर्ष 2010 में अपनी स्थापना के बाद से भारत-जर्मनी विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका को उजागर किया जा सके।
केंद्रीय मंत्रालय के मुताबिक, भारत भर में फैले प्रमुख शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के 20 युवा भारतीय शोधकर्ताओं को औद्योगिक फैलोशिप-2023 पुरस्कार दिए गए। यह फेलोशिप 6 से 12 महीनों के लिए जर्मन औद्योगिक पारिस्थितिक तंत्र और अनुप्रयुक्त अनुसंधान संस्थानों में युवा भारतीय शोधकर्ताओं को जोखिम प्रदान करती है। वहीं वाईजर (डब्ल्यूआईएसईआर) कार्यक्रम, दीर्घकालिक भारत-जर्मन अनुसंधान के लिए सहयोग के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान के लिए महिलाओं की पाश्र्व प्रविष्टि (लेटरल इंट्री) की सुविधा प्रदान करने के साथ ही क्षमता निर्माण एवं नेटवर्किं ग को आगे बढ़ाने के लिए रास्ते बनाता है।
इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर (आईजीएसटीसी) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) तथा जर्मनी सरकार के संघीय शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय (बीएमबीएफ) द्वारा विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए स्थापित एक द्विपक्षीय संस्था है। एप्लाइड रिसर्च और प्रौद्योगिकी विकास पर ध्यान देने के साथ इस प्रौद्योगिकी सहयोग ने विभिन्न विषयगत क्षेत्रों पर 54 अनुप्रयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं व 55 द्विपक्षीय कार्यशालाओं का समर्थन किया है।
पिछले कई वर्षो से आईजीएसटीसी के कार्यक्षेत्र का मुख्य केंद्र भारतीय और जर्मन शोधकर्ताओं व उद्यमियों के बीच एक नेटवर्किं ग मंच प्रदान करना रहा है। इसने अपनी विभिन्न कार्यक्रम संबंधी गतिविधियों के माध्यम से 6300 से अधिक शोधकर्ताओं व उद्यमियों को आपस में जोड़ा है।
--आईएएनएस
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