भारतीय किसान संघ ने किसानों को फसलों के घोषित मूल्य नहीं मिलने का उठाया मुद्दा-कहा, मंडियों में किसानों का हो रहा है शोषण
हरियाणा में एमएसपी पर सूरजमुखी बीजों की खरीद की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे किसानों और पुलिस द्वारा उन पर किए गए बल प्रयोग से मचे हंगामे के बीच भारतीय किसान संघ (बीकेएस )के इस बयान को काफी महत्वपूर्ण और सरकार के लिए एक बड़ा संदेश माना जा रहा है।
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने एमएसपी और किसानों के मुद्दे पर बयान जारी कर कहा, कैबिनेट द्वारा 7 जून को खरीफ फसलों के उचित मूल्य निर्धारण के फैसले का स्वागत है। किसान हित की दिशा में यह एक बढ़ता कदम जैसा लगता है। भारतीय किसान संघ, किसानों को फसलों के लाभकारी मूल्य मिलने को लेकर जो लड़ाई लड़ रहा है, वह रंग लाती दिख रही है, लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जब इस घोषित मूल्य के नीचे फसलों की बोली न लगे और फसलों की कटनी-छटनी बंद हो। मिश्र ने आगे कहा, क्योंकि किसान विक्रेता है, इसलिए किसानों से मंडियों और बाजारों में आढ़ती कर से लेकर कई प्रकार के जो अन्य कर वसूले जाते हैं, उन करों को भी आढ़तियों और खरीदारों से ही वसूला जाना चाहिए क्योंकि इससे मंडियों के साथ-साथ खुले बाजार में भी प्रतियोगिता का माहौल बनेगा और किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
बीकेएस ने दलहन की तरह ही तिलहन नीति बनाने की मांग करते हुए कहा कि तूर, उड़द और मसूर की खरीद पर पाबंदी हटा दी गई है जोकि एक अच्छा निर्णय है और सरकार को तिलहन के बारे में भी इसी तरह की नीति अपनानी चाहिए।
भारतीय किसान संघ ने फसल खरीद नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकारी खरीद के लिए वर्षों पुराने औसत उपज को ही प्रमाण माना जा रहा है। जबकि गुणवत्तापूर्ण बीजों एवं नई तकनीक के चलते औसत उपज में वृद्वि हुई है, उसे ध्यान में रखकर किसान से उपज खरीद की व्यवस्था होने की आवश्यकता है।
संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने आगे कहा,केंद्र सरकार की 2023-2024 की खरीफ फसलों की यह मूल्य घोषणा सराहनीय और किसानों के हितों में बढ़ते कदम हैं लेकिन जब तक राज्य सरकारें अपने मंडियों में किसानों को उचित मूल्य देने की व्यवस्था को सुनिश्चित नहीं करती है,मंडियों में किसानों का शोषण नहीं रुकता है और जब तक इसके साथ ही आयात-निर्यात नीति को तर्कसंगत नहीं बनाया जाता है, तब तक केंद्र सरकार का यह अच्छा कदम किसानों का भला नहीं कर पायेगा।
--आईएएनएस
एसटीपी/एएनएम