ब्लड ग्लूकोज कम करने, डायबिटीज की शुरुआत रोकने में प्रभावी है जोहा चावल
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक, जोहा एक छोटे अन्न वाला शीतकालीन धान है, जो अपनी महत्वपूर्ण सुगंध और स्वाद के लिए फेमस है। इससे संबंधित पारंपरिक दावा यह है कि जोहा चावल के उपभोक्ताओं में डायबिटीज और हृदय रोगों के मामले कम होते हैं, लेकिन इन्हें वैज्ञानिक रूप से सत्यापित किए जाने की आवश्यकता थी।
उस दिशा में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों ने सुगंधित जोहा चावल के न्यूट्रास्युटिकल गुणों का पता लगाया। मंत्रालय के मुताबिक, राजलक्ष्मी देवी ने परमिता चौधरी के साथ अपने शोध में सुगंधित जोहा चावल के न्यूट्रास्युटिकल गुणधर्मों का पता लगाया। इन व्रिटो प्रयोगशाला विश्लेषण के माध्यम से उन्होंने दो असंतृप्त फैटी एसिड, अर्थात लिनोलिक एसिड (ओमेगा-6) और लिनोलेनिक (ओमेगा-3) एसिड का पता लगाया।
यह अनिवार्य फैटी एसिड विभिन्न शारीरिक स्थितियों को बनाए रखने में मदद कर सकता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड डायबिटीज, हृदय रोगों और कैंसर जैसे कई मेटाबोलिक रोगों से बचाव करता है। जोहा ब्लड ग्लुकोज को कम करने और डायबिटीज संक्रमित की शुरुआत को रोकने में भी प्रभावी साबित हुआ है।
शोधकतार्ओं ने यह भी पाया कि सुगंधित जोहा चावल में व्यापक रूप से उपभोग की जाने वाली गैर-सुगंधित किस्म की तुलना में ओमेगा-6 से ओमेगा-3 का अधिक संतुलित अनुपात होता है। उचित आहार को बनाए रखने के लिए मनुष्यों द्वारा वांछित ओमेगा-6 से ओमेगा-3 आवश्यक फैटी एसिड (ईएफए) का अनुपात लगभग एक है। उन्होंने चावल की भूसी का तेल, एक पेटेंट उत्पाद जिसे वे डायबिटीज प्रबंधन में प्रभावी होने का दावा करते हैं।
मंत्रालय ने बताया कि इसके अतिरिक्त, जोहा चावल कई एंटीऑक्सिडेंट, फ्लेवोनोइड्स और फेनोलिक में भी समृद्ध है। रिपोर्ट किए गए कुछ बायोएक्टिव यौगिकों में से ओरिजानॉल, फेरुलिक एसिड, टोकोट्रिनॉल, कैफिक एसिड, कैटेचुइक एसिड, गैलिक एसिड, ट्राइसिन, आदि शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में एंटीऑक्सिडेंट,हाइपोग्लाइकेमिक और कार्डियो-सुरक्षात्मक प्रभाव हैं।
--आईएएनएस
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