बिहार में जदयू की नजर दलित वोटबैंक पर, चिराग को कमजोर करने की चाल

पटना, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव में अभी करीब एक साल की देरी है, लेकिन बिहार में करीब सभी राजनीतिक दल अपने जातीय समीकरण को दुरुस्त करने में जुटे है। इसमें कोई शक नहीं है कि बिहार में चुनाव परिणाम को जातीय समीकरण प्रभावित करते रहे हैं।
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पटना, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव में अभी करीब एक साल की देरी है, लेकिन बिहार में करीब सभी राजनीतिक दल अपने जातीय समीकरण को दुरुस्त करने में जुटे है। इसमें कोई शक नहीं है कि बिहार में चुनाव परिणाम को जातीय समीकरण प्रभावित करते रहे हैं।

लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां एक बार फिर से जातीय समीकरण को सुधारने में जुटे है। जदयू लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लोजपा (रामविलास) के दलित वोटबैंक के सेंधमारी करने में जुटी है।

जदयू भीमराव अंबेडकर जयंती के मौके को लेकर कई कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है। माना जाता है कि जदयू इसी समारोह के जरिए दलितों को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटी है।

जदयू 13 अप्रैल की संध्या प्रदेश के सभी पंचायतों में दीप प्रज्वलित कर प्रकाश उत्सव मनाने का निर्णय लिया है जबकि 14 अप्रैल को सभी पंचायतों में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर जयंती व्यापक रूप से मनाएगी।

पार्टी द्वारा बाबा साहेब के संदेश पत्र एवं स्टीकर को प्रत्येक अनुसूचित जाति मोहल्ला तक लगाने का अभियान चलाने का भी निर्णय भी लिया गया।

जदयू के एक नेता कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भीमराव अंबेडकर के सपनों को साकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के विचारों को जनमानस तक पहुंचाने के लिए भीम संवाद का आयोजन करने का भी निर्णय लिया गया है।

कहा जाता है कि जदयू इन कार्यक्रमों के जरिए दलित वर्ग से सीधे जुड़ना चाह रही है।

बिहार की राजनीति पर नजदीकी नजर रखने वाले अजय कुमार बताते हैं कि नीतीश की पार्टी इस रणनीति के जरिए न केवल चिराग पासवान की पार्टी को कमजोर करने में जुटी है जबकि अपने वोट बैंक में भी इजाफा करेगी।

उन्होंने कहा कि आमतौर पर माना जाता है कि चिराग पासवान दलित नेता के उभरे है और दलित वर्ग के एक बड़े वर्ग पर इनकी पकड़ है।

--आईएएनएस

एमएनपी/एएनएम

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