छत्तीसगढ़ के इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले में बढ़ सकती हैं भाजपा नेताओं की मुश्किलें

रायपुर, 21 जून (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में लगभग दो दशक पहले इंदिरा प्रियदर्शनी महिला नागरिक सहकारी बैंक में हुए घालमेल के मामले की जांच की उच्च न्यायालय ने अनुमति दे दी है। इसके चलते राज्य के कई भाजपा नेताओं की मुश्किलें बढ़ने का अंदेशा है।
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रायपुर, 21 जून (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में लगभग दो दशक पहले इंदिरा प्रियदर्शनी महिला नागरिक सहकारी बैंक में हुए घालमेल के मामले की जांच की उच्च न्यायालय ने अनुमति दे दी है। इसके चलते राज्य के कई भाजपा नेताओं की मुश्किलें बढ़ने का अंदेशा है।

राज्य में गरीब घर की महिलाओं के लिए 1995 में इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक खोला गया था, यह बैंक वर्ष 2006 तक ठीकठाक चला, मगर अचानक बंद हो गया। इसमें लगभग 54 करोड़ रुपये की गड़बड़ी के आरोप लगे, इसके बाद मामला आगे बढ़ा और न्यायालय की दहलीज तक पहुंचा। इस मामले में एक अभियुक्त उमेश सिन्हा का नाकरे टेस्ट भी कराया गया, जिसमें उसने गंभीर आरोप लगाए।

इंदिरा प्रियदर्शनी महिला नागरिक सहकारी बैंक संघर्ष समिति के अध्यक्ष कन्हैयालाल अग्रवाल ने बताया है कि बैंक बंद होने के बाद ही इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी और यह मामला न्यायालय में पहुंचा, इस प्रकरण में सिन्हा का नार्को टेस्ट कराया गया और उसकी सीडी भी सार्वजनिक हो गई, इसके बाद से मामला उच्च न्यायालय में था और वहां से अब जांच की अनुमति मिल गई है। आने वाले दिनों में उन सारे लोगों के चेहरे बेनकाब होंगे, जिन्होंने गरीबों के पैसे की बंदरबांट की है।

वहीं, भूपेश बघेल ने उमेश सिन्हा की नार्को टेस्ट की सीडी के हिस्से को टैग करते हुए ट्वीट किया है, उच्च न्यायालय ने जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे के गबन के प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की जांच की अनुमति दे दी है, नार्को टेस्ट के मुख्य अभियुक्तों में से एक उमेश सिन्हा ने बताया था कि उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके मंत्रियों अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल और रामविचार नेताम सहित कई भाजपा नेताओं को करोड़ों रुपये दिए थे। बैंक संचालकों सहित अन्य लोगों को भी पैसा दिए गए, भ्रष्टाचार उजागर होना चाहिए दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।

यह बैंक घोटाला राज्य की सियासत में एक नया तूफान खड़ा कर सकता है, क्योंकि इस मामले में भाजपा से जुड़े कई नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, वहीं कांग्रेस का रुख हमलावर है। यह ऐसा बैंक था, जिसके आखिरी दिनों में 25 हजार से ज्यादा ग्राहक थे। इनमें से ज्यादातर वे लोग थे जो वर्षो से छोटी-छोटी रकम जमा करते आए थे और उनके सपने जुड़े थे। इस बैंक के बंद होने और घोटाले के कारण कई परिवारों के सपने टूट गए थे।

--आईएएनएस

एसएनपी/एसजीके

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