कोलकाता में नकली बच्चा गोद लेने के रैकेट का भंडाफोड़
भुगतान उम्र के साथ अलग-अलग होते हैं - बच्चे की उम्र जितनी कम होती है, कीमत उतनी ही अधिक होती है।
गोद लेने की कुल राशि का लगभग 50 प्रतिशत का भुगतान हो जाने के बाद दंपतियों को कुछ समय तक प्रतीक्षा करने के लिए कहा जाता था जब तक कि शेष राशि का भुगतान नहीं हो जाता।
लेकिन पूरी राशि मिलने के बाद ये लोग गायब हो जाते थे।
सिटी पुलिस सूत्रों ने बताया कि एक दंपति ने शिकायत दर्ज कराई कि अडॉप्शन सेंटर का नाम श्री रामकृष्ण नॉटुन जीवन दान सेवाश्रम है। शिकायत थी कि 4 लाख रुपये की एडवांस बुकिंग राशि देने के बावजूद सेंटर बच्चे को सौंपने में देरी कर रहा है।
पुलिस ने उस मोबाइल नंबर के आधार पर जांच शुरू की जिसके जरिए यह सेंटर दंपत्ति से संपर्क करता था।
उसी समय, हरिदेवपुर थाने के एक सब-इंस्पेक्टर ने सेंटर में एक पर्चा देखा जिसमें बच्चा गोद लेने का वादा किया गया था।
अंतत: जांच के बाद रैकेट के तीन मास्टरमाइंड रंजीत दास, उनकी पत्नी माधाबी दास और भाभी सुप्रिया रॉय को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया।
जांच में पता चला कि न तो गिरफ्तार किए गए लोगों के पास और न ही सेंटर के पास एक भी बच्चा था।
बच्चों को गोद लेने की व्यवस्था के लिए कानूनी रूप से अधिकृत एजेंसियों के साथ उनका कोई संबंध नहीं था।
शहर के पुलिस सूत्रों के अनुसार, उनका मुख्य उद्देश्य अग्रिम धन प्राप्त करना और फिर घटनास्थल से गायब होना था।
छापेमारी के दौरान पुलिस ने फर्जी केंद्र के कार्यालय से कई गोद लेने के आवेदन बरामद किए।
--आईएएनएस
एसकेपी