केसीआर ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की
उन्होंने डॉक्यूमेंट्री पर लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर विधानसभा में सवाल उठाया।
केसीआर ने कहा, जब बीबीसी ने गोधरा दंगों पर एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित किया, तो इसे प्रतिबंधित कर दिया गया। एक वकील अश्विनी उपाध्याय ने बीबीसी को भारत में प्रतिबंधित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया। इतना अहंकार क्यों?
उन्होंने कहा, यह पागलपन हमें कहां ले जाएगा? क्या बीबीसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए भाजपा के एक व्यक्ति द्वारा सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर करना देश के लिए सम्मान की बात है? दुनिया हमारे बारे में क्या सोचेगी। यह असहिष्णुता क्यों है?
मुख्यमंत्री ने यह भी टिप्पणी की कि भारत जैसे बड़े देश में गलतियां होती हैं और उन्हें स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में आलोचकों पर प्रतिबंध लगाना या उन्हें जेल भेजना उचित नहीं है।
उन्होंने कहा, किसी के पास धैर्य और सहनशीलता होनी चाहिए। कोई भी स्थायी नहीं है क्योंकि हम सत्ता में आने के लिए लोगों की दया पर निर्भर हैं।
भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष ने कहा कि इस तरह का व्यवहार लोगों द्वारा लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने टिप्पणी की, 2024 के बाद वे खंडहर हो जाएंगे। हम सभी ने देखा कि लोकनायक जय प्रकाश नारायण का आंदोलन और उसके बाद देश में पैदा हुई चिंगारी ने इंदिरा गांधी की क्या हालत कर दी।
केसीआर ने कामारेड्डी जिले में एक राशन की दुकान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो नहीं रहने पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की बौखलाहट की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, देश के वित्तमंत्री ने एक गरीब राशन डीलर के साथ लड़ाई की। उन्होंने उसे धमकी दी। वास्तव में, पीएम मोदी की तस्वीर क्यों प्रदर्शित की जानी चाहिए?
बीआरएस नेता ने यह भी जानना चाहा कि मोदी सरकार देश में जनगणना क्यों नहीं करा रही है। उन्होंने बताया कि जनगणना की प्रक्रिया बहुत पहले 1871 में शुरू हुई थी और यह 2011 तक निर्बाध रूप से जारी रही।
उन्होंने बताया कि दो विश्वयुद्धों के दौरान भी यह बंद नहीं हुआ था। केसीआर ने कहा कि जनगणना से ही सरकार को पता चलता है कि देश में क्या स्थिति है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जनगणना इसलिए नहीं करा रही है, क्योंकि वह तथ्य जानने से डरती है।
उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति के लोग भी जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, अनुसूचित जाति की आबादी बहुत पहले 15 फीसदी तय की गई थी, लेकिन अधिकार के साथ मैं कह सकता हूं कि यह अब 17 फीसदी को पार कर गई है। कुछ राज्यों में यह 19 फीसदी को भी पार कर गई है।
--आईएएनएस
एसजीके