एसजीपीसी 12 सितंबर से बंदी सिंह की रिहाई की मांग को लेकर विरोध तेज करेगी
शुक्रवार को तेजा सिंह समुंदरी हॉल में आयोजित एसजीपीसी के सभी सदस्यों की बैठक में सिख कैदियों की रिहाई के संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया और निर्णय लिया गया कि इसके लिए संघर्ष को आगे बढ़ाया जाएगा।
एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी के नेतृत्व में हुई बैठक में एसजीपीसी के विभिन्न सदस्यों ने सिख कैदियों के मुद्दे पर सरकार की उदासीनता पर गहरी चिंता व्यक्त की और उनकी रिहाई की मांग को लेकर जन आंदोलन शुरू करने का सुझाव दिया।
धामी की ओर से पेश प्रस्ताव में यह मंजूरी दी गई कि 12 सितंबर को पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में उपायुक्तों के दफ्तरों के बाहर एसजीपीसी की ओर से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा, इस दौरान एसजीपीसी के सदस्य काले वस्त्र पहनकर सरकार के रवैये का विरोध करेंगे।
इसके साथ ही एक जन आंदोलन शुरू करने के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जाएगा, जिसके तहत संगतों को ऐतिहासिक सिख धर्मस्थलों, शहरों, कस्बों और गांवों में मुख्य स्थानों पर भरने के लिए फॉर्म दिए जाएंगे।
संकल्प के अनुसार शहरों में महत्वपूर्ण स्थानों पर बंदी सिंहों की रिहाई के संबंध में फ्लेक्स बोर्ड लगाकर काउंटर स्थापित किए जाएंगे, जहां आने-जाने वाले लोग हस्ताक्षर अभियान में भाग ले सकेंगे।
इस विरोध के अगले चरण के रूप में एसजीपीसी के सभी सदस्य संयुक्त रूप से पंजाब के राज्यपाल को हस्ताक्षरित फॉर्म और ज्ञापन सौंपेंगे।
बैठक में सिख कैदियों की रिहाई के लिए सेवानिवृत्त सिख न्यायाधीशों, वरिष्ठ वकीलों और पंथ के विद्वानों के साथ बैठक करने का निर्णय लिया गया, ताकि कानूनी कार्यवाही और सरकारों के साथ संचार के लिए विशेषज्ञों का समर्थन प्राप्त किया जा सके।
सभा के दौरान, धार्मिक सिद्धांतों और पूजा स्थलों पर हमलों की भी निंदा की गई और तरनतारन के पास एक चर्च की तोड़फोड़ को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया गया।
गुरुवार को धामी ने बंदी सिंह की रिहाई के मुद्दे पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बैठक के लिए समय मांगा था।
धामी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि उम्रकैद की सजा पूरी करने के बाद भी कई सिख कैदी देश भर की विभिन्न जेलों में बंद हैं।
अपने पत्र में धामी ने नौ सिख कैदियों के नामों का जिक्र किया है, जिन्हें लंबी सजा काटने के बावजूद रिहा नहीं किया गया है।
--आईएएनएस
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