आतंकी पन्नून ने की खालिस्तान जनमत संग्रह के अगले दौर की घोषणा

चंडीगढ़, 15 नवंबर (आईएएनएस)। प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे)का संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नून ने मंगलवार को घोषणा की कि एक अलग सिख राज्य के लिए खालिस्तान जनमत संग्रह का अगला दौर ऑस्ट्रेलियाई राजधानी कैनबरा में आयोजित किया जाएगा।
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आतंकी पन्नून ने की खालिस्तान जनमत संग्रह के अगले दौर की घोषणा चंडीगढ़, 15 नवंबर (आईएएनएस)। प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे)का संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नून ने मंगलवार को घोषणा की कि एक अलग सिख राज्य के लिए खालिस्तान जनमत संग्रह का अगला दौर ऑस्ट्रेलियाई राजधानी कैनबरा में आयोजित किया जाएगा।

गौरतलब है कि हाल के महीनों में मोहाली में पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस विंग मुख्यालय पर रॉकेट से ग्रेनेड हमला और धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के प्रवेश द्वार पर खालिस्तान का झंडा लगाने आदि के लिए पन्नून का संगठन ही जिम्मेदार है। इन मामलों में पन्नून के खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है।

भारत सरकार द्वारा 2017 में एसएफजे पर पाबंदी लगाए जाने और पन्नू को आतंकवादी घोषित किए जाने के बावजूद कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में एफएसजे को भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन करने की अनुमति दी गई है। इसमें अलग खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह भी शामिल है।

कनाडाई शहर मिसिसॉगा में सिख प्रवासियों ने खालिस्तान जनमत संग्रह पर मतदान किया, जिससे भारत-कनाडा संबंधों में तनाव आया। तथाकथित जनमत संग्रह की अनुमति देने के लिए 6 नवंबर को ब्रैम्पटन के मेयर पैट्रिक ब्राउन का एक मंदिर के बाहर घेराव भी किया गया।

सोशल मीडिया पर आए वीडियो में सिख पुरुषों और महिलाओं को खालिस्तान झंडे के साथ एक मतदान केंद्र पर दिखाया गया है, जबकि हिंदू समुदाय भारतीय राष्ट्रीय झंडा लेकर जनमत संग्रह स्थल के पास विरोध कर रहे हैं।

हालांकि वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि आईएएनएस द्वारा नहीं की जा सकती।

पिछले महीने इंटरपोल ने पन्नून के खिलाफ रेड नोटिस जारी करने के भारत के अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि भारतीय अधिकारियों ने उसके बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दी है।

पंजाब के एक वरिष्ठ अधिकारी आईएएनएस से कहा, चूंकि मुट्ठी भर खालिस्तानियों (कट्टरपंथियों) का भारत में कोई आधार नहीं है, इसलिए वे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और चीन की मदद से पश्चिमी देशों में अपना आधार स्थापित करने के लिए जनमत संग्रह कर रहे हैं और खालिस्तान एजेंडे का प्रचार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश पन्नून और अन्य कट्टरपंथियों के खिलाफ केस चलाने से परहेज करते हैं, उन्हें लगता है कि ऐसा करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा।

मारे गए अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और अन्य आतंकवादियों की तस्वीरों के साथ सिख प्रवासी बहुल देशों में बैसाखी परेड में नफरत फैलाने वाले भाषण आम हैं।

2020 में स्वतंत्रता दिवस पर पन्नून द्वारा काले झंडे दिखाने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि भारत में पंजाबी समृद्ध लोग हैं और कनाडा या अमेरिका में बैठे किसी के इशारे पर इस तरह के कृत्यों में शामिल होने में दिलचस्पी नहीं रखते हैं।

उन्होंने पन्नून को चुनौती देते हुए कहा, वे (पंजाब के लोग) ऐसा क्यों करें, अगर आपमें हिम्मत है तो आप आकर ऐसा करें।

उसने युवकों को चेताया था, पन्नून देखने में पंजाबी भी नहीं लगता और यह सब सिर्फ पैसे ऐंठने के लिए करता है.

हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख बलजीत सिंह दादूवाल ने हाल ही में युवाओं को इस तरह के प्रलोभनों से दूर रहने के लिए कहा है।

एक संदेश में दादूवाल ने कहा कि कई सिख परिवारों के युवा बेटों को कुछ सौ से हजार डॉलर के भुगतान व नौकरी का वादा कर एसएफजे द्वारा खालिस्तानी झंडे फहराने के लिए कहा जा रहा है।

गौरतलब है कि पंजाब में सितंबर 1981 से अगस्त 1992 के बीच आतंकवाद से लड़ते हुए 1,792 पुलिसकर्मियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।

2017 से पन्नून पर आतंकवाद और देशद्रोह के आरोपों सहित 22 मामला दर्ज किया गया है। हाल ही में जालंधर में पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की मूर्ति को कवर करने वाले एक ग्लास बॉक्स पर एसएफजे कार्यकतार्ओं द्वारा खालिस्तान समर्थक नारा लिखे जाने के बाद पंजाब पुलिस ने देशद्रोह का मामला दर्ज किया था।

हिमाचल प्रदेश पुलिस ने मई में राज्य विधानसभा परिसर के बाहर खालिस्तानी झंडे फहराने के लिए पन्नून पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था।

कनाडा में तथाकथित जनमत संग्रह पर अपनी चिंता दोहराते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, हमने कई बार अपनी स्थिति स्पष्ट की है। खालिस्तान जनमत संग्रह हमारा स्टैंड सर्वविदित है।

कनाडा सरकार ने कहा है कि वह भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करती है और तथाकथित जनमत संग्रह को मान्यता नहीं देगी।

पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने सोमवार को राज्य सरकार से यह बताने का आग्रह किया कि लक्षित हत्याओं और हेट क्राइम को रोकने के लिए उसने क्या करने की योजना बनाई है।

वडिंग ने अपने एक बयान में कहा लोगों में डर की भावना है कि आईएसआई पंजाब में चुनिंदा और हेट क्राइम का सहारा लेने की कोशिश कर रही थी, जिससे राज्य में शांतिपूर्ण माहौल बिगड़ गया। उन्होंने कहा कि हमने पहले ही कुछ हत्याएं देखी हैं, लेकिन सरकार निष्क्रिय और अडिग बनी हुई है और इसके बजाय वह गुजरात चुनाव में व्यस्त है।

उन्होंने सीमावर्ती राज्य में इतनी गंभीर स्थिति पर केंद्र सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाया कि वह इस तरह की अनुमति क्यों दे रही है।

राजा वड़िंग ने चेतावनी दी कि ऐसी खबरें पहले से ही सार्वजनिक हैं कि कैसे पाकिस्तान की आईएसआई पंजाब में उग्रवाद को पुनर्जीवित करने और युवाओं को हिंसा के लिए उकसाने की कोशिश कर रही थी।

उन्होंने कहा, इस सरकार की ओर से कोई स्पष्ट योजना या कार्रवाई नहीं हुई है जैसे कि कुछ भी नहीं हुआ है, उन्होंने स्थिति से निपटने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा, हमेशा की तरह व्यवसाय।

एक अलग खालिस्तान राज्य के लिए जनमत संग्रह कराने के बारे में कनाडा के रुख के बारे में चंडीगढ़ में कनाडा के महावाणिज्य दूत पैट्रिक हेबर्ट ने सितंबर में आईएएनएस से कहा, कनाडा ने कई मौकों पर स्पष्ट किया है कि हम भारत की संप्रभुता, एकता व अखंडता का सम्मान करते हैं।

--आईएएनएस

सीबीटी/एएनएम

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