नहाय खाय सेे महान छठपूजा पर्व की शुरूआत, जानिए क्या हैं विशेषताएं और महत्व, देखें यह खबर..

वास्तव में प्रकृति को पूजने का पर्व है छठपूजा महोत्सव न्यूज टुडे नेटवर्क। देशभर में छठ पूजा पर्व बेहद धार्मिक रूप से पूरे विधिविधान के साथ मनाया जाएगा। वास्तव में छठ पूजा को प्रकृति की पूजा का ही दूसरा रूप माना गया है। इस दिन भगवान सूर्य देव को अर्ध्य देना और नदियों में स्नान
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नहाय खाय सेे महान छठपूजा पर्व की शुरूआत, जानिए क्या हैं विशेषताएं और महत्व, देखें यह खबर..

वास्‍तव में प्रकृति को पूजने का पर्व है छठपूजा महोत्‍सव

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। देशभर में छठ पूजा पर्व बेहद धार्मिक रूप से पूरे विधिविधान के साथ मनाया जाएगा। वास्‍तव में छठ पूजा को प्रकृति की पूजा का ही दूसरा रूप माना गया है। इस दिन भगवान सूर्य देव को अर्ध्‍य देना और नदियों में स्‍नान करने की पवित्र परंपरा इस किंवदंती को और अधिक बल देती है।

नहाय खाए से छठ पर्व की शुरुआत हो गई है। इसके अगले दिन खरना होता है। छठ पर्व सूर्य की आराधना का पर्व है। नहाय खाए छठ पूजा का पहला दिन होता है। इस दिन नहाने और खाने की विधि की जाती है। सबसे पहले घर की साफ-सफाई की जाती है, गंगा जल से शुद्धिकरण किया जाता है। इसके बाद व्रत रखने वाले महिला शाकाहारी भोजन बनाती है। शाम को पहले परिवार की व्रत रखने वाली महिलाएं भोजन करती हैं, उसके बाद अन्य सदस्य। इस बार नहाया खाए 18 नवंबर बुधवार को है।

नहाय खाय के दिन महिलाएं पूजा पाठ करने के साथ ही छठी माता की पूजा करने का संकल्प लेती हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड उत्तर भारत के अन्य प्रदेशों में छठ पर्व का विशेष महत्व है। नहाय खाए के लिए यहां विशेष बंदोबस्त किए जाते हैं। हालांकि इस बार कोरोना महामारी के कारण अधिकांश स्थानों पर अपील की गई है कि लोग अपने घरों में ही छठ पर्व मनाएं। मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से छठ माता व सूर्य देवता की आराधना करता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।

छठ पूजा वास्तविक रूप में प्रकृति की पूजा है। इस अवसर पर सूर्य भगवान की पूजा होती है, जिन्हें एक मात्र ऐसा भगवान माना जाता है जो दिखते हैं। छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। छठी मैया का ध्यान करते हुए लोग मां गंगा-यमुना या किसी नदी के किनारे इस पूजा को मनाते हैं। इसमें सूर्य की पूजा अनिवार्य है साथ ही किसी नदी में स्नान करना भी। इस पर्व में पहले दिन घर की साफ सफाई की जाती है।

छठ का महत्‍व

छठ का व्रत जीवन में सुख और समृद्ध‍ि के लिए और संतान व पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है. दिवाली के ठीक 6 दिन बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है. इस दिन भगवान सूर्य और छठी देवी की पूजा की जाती है. इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे तक व्रत रखते हैं

छठ पूजा का प्रारंभ दो दिन पूर्व चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से होता है, फिर पंचमी को लोहंडा और खरना होता है. उसके बाद षष्ठी तिथि को छठ पूजा होती है, जिसमें सूर्य देव को शाम का अर्घ्य अर्पित किया जाता है. इसके बाद अगले दिन सप्तमी को सूर्योदय के समय में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और फिर पारण करके व्रत को पूरा किया जाता है| छठ पूजा 4 दिनों की होती है| छठ पूजा में विशेष प्रकार के पकवान बनाये जाते है जिसमें ठेकुआ पकवान का बहुत महत्व है ।