शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित काशी तमिल संगमम में पहुंचा तमिल छात्रों का दूसरा बैच

नई दिल्ली, 23 नवंबर (आईएएनएस)। महीने भर चलने वाले काशी तमिल संगमम उत्सव में भाग लेने वाले तमिलनाडु के प्रतिनिधिमंडल के दूसरे दल ने वाराणसी में गंगा नदी के तट पर स्थित हनुमान घाट पर पवित्र डुबकी लगाई। पहले रामेश्वरम घाट के नाम से जाना जाने वाला हनुमान घाट वाराणसी के सबसे अधिक देखे जाने वाले घाटों में से एक है। आसपास के क्षेत्र दक्षिण भारतीय मठों जैसे केरल मठ, कांची मठ, शंकर मठ, श्रृंगेरी मठ आदि से घनी आबादी वाले हैं।
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शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित काशी तमिल संगमम में पहुंचा तमिल छात्रों का दूसरा बैच नई दिल्ली, 23 नवंबर (आईएएनएस)। महीने भर चलने वाले काशी तमिल संगमम उत्सव में भाग लेने वाले तमिलनाडु के प्रतिनिधिमंडल के दूसरे दल ने वाराणसी में गंगा नदी के तट पर स्थित हनुमान घाट पर पवित्र डुबकी लगाई। पहले रामेश्वरम घाट के नाम से जाना जाने वाला हनुमान घाट वाराणसी के सबसे अधिक देखे जाने वाले घाटों में से एक है। आसपास के क्षेत्र दक्षिण भारतीय मठों जैसे केरल मठ, कांची मठ, शंकर मठ, श्रृंगेरी मठ आदि से घनी आबादी वाले हैं।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा काशी तमिल संगमम का आयोजन 17 नवंबर से 16 दिसंबर, 2022 तक वाराणसी (काशी) में किया जा रहा है। इसका उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों को फिर से खोजना है। कार्यक्रम का उद्देश्य दोनों क्षेत्रों के विद्वानों, छात्रों, दार्शनिकों, व्यापारियों, कारीगरों, कलाकारों और जीवन के अन्य क्षेत्रों के लोगों को एक साथ लाने, ज्ञान, संस्कृति और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और एक दूसरे के अनुभव से सीखने का अवसर प्रदान करना है।

बुधवार को तमिलनाडु से आए छात्रों के दूसरे समूह द्वारा वाराणसी के घाट पर पवित्र डुबकी लगाने के बाद, प्रतिनिधिमंडल ने हनुमान घाट स्थित सुब्रह्मण्य भारती के आवास का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने इस बात का आभार व्यक्त किया कि वे अपने रीति-रिवाजों, परंपराओं और संस्कृति से जुड़ सके थे।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक तमिल प्रतिनिधिमंडल के दूसरे दल में कारीगरों और व्यापारियों का एक समूह भी शामिल था। उसके बाद इस दल ने टीएफसी केंद्र में स्थित संग्रहालय का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने के लिए व्यापार सुविधा केंद्र (टीएफसी) का दौरा किया। संग्रहालय में पूर्वांचल क्षेत्र के हथकरघा उत्पादों की भव्यता और सारनाथ की पुरातात्विक वस्तुओं की प्रतिकृतियां अतिथियों को दिखाई गईं। दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल के लिए टीएफसी में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें इस दल के कुछ सदस्यों ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद दिन में उन्हें सारनाथ के भ्रमण पर भी ले जाया गया।

प्रतिनिधिमंडल शाम को सारनाथ से बीएचयू एम्फीथिएटर पहुंचा और सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी शामिल हुआ। वे कार्यक्रम स्थल पर विभिन्न स्टालों का भी दौरा करेंगे। 75 स्टालों में उत्तर और दक्षिण भारतीय दोनों तरह के बुटीक शामिल हैं जिनमें कलाकृतियां, हथकरघा, हस्तशिल्प, पारंपरिक पोशाक, उत्तर और दक्षिण भारतीय भोजन आदि प्रतिनिधिमंडल और वाराणसी के स्थानीय लोगों दोनों के लिए प्रदर्शित किए गए हैं।

--आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम