मैं घोषणा मशीन नहीं, लागू करने में है विश्वास : कमलनाथ

भोपाल, 14 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने जाट समाज द्वारा दिए गए मांगपत्र पर इशारों-इशारों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर तंज सकते हुए कहा, मैं घोषणा मशीन नहीं हूं, इसलिए मैं कोई घोषणा नहीं करता, बल्कि क्रियान्वयन (लागू करने) में विश्वास करता हूं।
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भोपाल, 14 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने जाट समाज द्वारा दिए गए मांगपत्र पर इशारों-इशारों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर तंज सकते हुए कहा, मैं घोषणा मशीन नहीं हूं, इसलिए मैं कोई घोषणा नहीं करता, बल्कि क्रियान्वयन (लागू करने) में विश्वास करता हूं।

राजधानी में जाट समाज का महाकुंभ आयोजित किया गया। इसमें कमलनाथ भी पहुंचे। उन्होंने कहा, जाट समाज जागरूक समाज है और यह वीरों का समाज है। मैं आपके बीच आना चाहता था, इसलिए अभी मैं एक कार्यक्रम को छोड़कर आपके बीच में आया हूं।

इससे पहले कमलनाथ के सामने जाट समाज ने इस महाकुंभ के संबंध में मांगपत्र भी पेश किया, जिसके जवाब में कमलनाथ ने कहा, आपने अपनी मांगें रखीं, मैंने आपकी मांगें सुनी, कमलनाथ तो घोषणा मशीन नहीं है, मैं तो घोषणा नहीं करता, मैं क्रियान्वयन में विश्वास करता हूं और अगला जब आपका सम्मेलन होगा तो मैं आपको हिसाब दूंगा। घोषणा करना तो बहुत आसान है, मैंने जैसे कहा कि मैं घोषणा मशीन नहीं बनना चाहता, मैं जो हूं सो हूं।

उन्होंने आगे कहा, आज भारी संख्या में हमारे नौजवान यहां हैं, मैं नौजवानों से पूछना चाहता हूं, आज विश्व में ऐसा कोई देश है, जहां इतने धर्म हैं, जहां इतनी जातियां हैं, जहां इतनी भाषाएं हैं, इतने देवी-देवता हैं। विश्व में कोई ऐसा देश नहीं है, जहां इतने त्यौहार होते हों। हम यहां से दक्षिण जाते हैं तो हमारा पजामा और धोती भी लूंगी बन जाता है। यह हमारा देश है। अपना देश एक झंडे के नीचे खड़ा है, तो इसलिए खड़ा है कि हमारे देश की संस्कृति जोड़ने की संस्कृति है। हम दिल जोड़ते हैं, रिश्ता जोड़ते हैं। आपके गांव में कितने धर्म के कितनी जातियों के लोग रहते हैं, यही भाईचारा है और यही अपने देश की संस्कृति है।

कमलनाथ ने कहा, हमारी संस्कृति पर कोई खतरा न हो, इसीलिए बाबासाहेब अंबेडकर ने हमें संविधान बनाकर दिया। ऐसा संविधान बाबासाहेब आंबेडकर ने बनाया, जो पूरे विश्व में मशहूर है। हमें अपने संविधान की रक्षा करनी है। मैं तो आपसे इतना ही कहना चाहता हूं कि आज का समय है कि हम अपनी संस्कृति और अपने संविधान की रक्षा करें।

--आईएएनएस

एसएनपी/एसजीके