मप्र में जयस बिगाड़ेगा सियासी गणित

भोपाल, 17 मई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा के चुनाव में जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) की अहम भूमिका रहने वाली है, क्योंकि जयस ने राज्य की 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान दिया है। जयस के चुनाव लड़ने से सियासी समीकरण के गड़बड़ाने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।
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भोपाल, 17 मई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा के चुनाव में जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) की अहम भूमिका रहने वाली है, क्योंकि जयस ने राज्य की 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान दिया है। जयस के चुनाव लड़ने से सियासी समीकरण के गड़बड़ाने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।

राज्य की सियासत में आदिवासी वोट बैंक की खासी अहमियत है, क्योंकि आदिवासी वोट बैंक का समर्थन सत्ता का रास्ता तय करने वाला होता है, जिस भी दल को इस वर्ग का समर्थन मिला तो उसने सत्ता हासिल कर ली। इसकी वजह भी है, क्योंकि राज्य की 47 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं, वही कुल 84 सीटें ऐसी हैं, जहां पर आदिवासी निर्णायक स्थिति में हैं।

राज्य के पिछले दो विधानसभा चुनावों पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि वर्ष 2013 में जहां भाजपा ने अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 47 सीटों में भाजपा को जीत मिली थी तो वहीं कांग्रेस 17 स्थानों पर जीत हासिल कर पाई थी और भाजपा सत्ता में आई थी। इसी प्रकार वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 43 सीटों में से कांग्रेस 31 सीटों पर जीती और भाजपा 16 सीटों पर सिमट गई इस तरह कांग्रेस को सत्ता मिली।

राज्य में इसी साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल आदिवासियों को लुभाने में लगे हुए हैं। इसी बीच जयस के प्रमुख डॉ. हीरालाल अलावा ने राज्य की 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान करने से सियासी समीकरणों पर असर पड़ता नजर आने लगा है।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राज्य के मालवा और निमाड़ इलाके में जयस का सबसे ज्यादा प्रभाव है, वही आदिवासी वोट बैंक महाकौशल और विंध्य इलाके में भी हैं। आदिवासियों का रुझान जिस भी दल की तरफ हुआ उसके चलते संबंधित दल के लिए सत्ता का रास्ता आसान रहेगा। वही जयस चुनाव लड़ता है तो भाजपा और कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी।

--आईएएनएस

एसएनपी/एसजीके