देश के 270 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, पूर्व राजदूत, रिटायर्ड आर्मी अधिकारी और एकेडमिशियन्स ने लिखा पत्र- विपक्षी दलों के बहिष्कार को बताया निंदनीय

नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)। देश के 88 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, 10 पूर्व राजदूत, 100 रिटायर्ड आर्मी अधिकारी और 82 एकेडमिशियन्स सहित देश के 270 प्रतिष्ठित नागरिकों ने पत्र जारी करते हुए विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम के बहिष्कार के फैसले को निंदनीय करार दिया है।
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नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)। देश के 88 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, 10 पूर्व राजदूत, 100 रिटायर्ड आर्मी अधिकारी और 82 एकेडमिशियन्स सहित देश के 270 प्रतिष्ठित नागरिकों ने पत्र जारी करते हुए विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम के बहिष्कार के फैसले को निंदनीय करार दिया है।

देश के 270 प्रतिष्ठित नागरिकों द्वारा जारी इस पत्र में विपक्षी दलों के व्यवहार की निंदा करते कहा गया है कि अपने अपरिपक्व और खोखले तर्कों से गैर लोकतांत्रिक तेवर का खुला प्रदर्शन करते हुए विपक्ष यह समझ नहीं पाता है कि लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित प्रधानमंत्री ( नरेंद्र मोदी ) ने अपनी प्रमाणिकता, समावेशी नीतियों, रणनीतिक ²ष्टि और सबसे बढ़कर अपनी भारतीयता के साथ एक अरब भारतीयों को प्रेरित किया है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि फैमिली फस्र्ट संचालित पार्टियां इंडिया फस्र्ट के ²ष्टिकोण के साथ कैसे सामंजस्य स्थापित कर सकती है इसलिए ये सभी दल ( विपक्षी दल ) भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले का बहिष्कार करने के लिए एक साथ आ गए हैं।

पत्र में आगे कहा गया है कि जो लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद के उद्घाटन का बहिष्कार कर रहे हैं उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे कैसे लोकतंत्र की आत्मा को चूस रहे हैं।

2017 में जीएसटी लॉन्च, 2021 में संविधान दिवस और राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार जैसे कई उदाहरणों को बताते हुए देश के इन प्रतिष्ठित नागरिकों ने कहा कि ये दल अपने स्वयं के सूत्रबद्ध, अलोकतांत्रिक, नियमित और निराधार बहिष्कार का पालन कर रहे हैं।

नए संसद भवन के उद्घाटन को पूरे देश के लिए गर्व का क्षण बताते हुए भारतीय के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े होने का संकल्प लेकर इन्होंने यह भी कहा कि वे विपक्षी दलों के गैर लोकतांत्रिक रवैये की निंदा करते हैं और अगर कांग्रेस एवं उनके सहयोगी दल गहराई से विचार करें तो उन्हें समझ में आएगा कि लोकतंत्र की आत्मा नहीं गई बल्कि विपक्षी दलों की लोकप्रियता खो गई है।

--आईएएनएस

एसटीपी/एएनएम