देहरादून- सरकार की इस निति की मदद से आप भी बना सकेंगे पिरुल से बिजली, ऐसे करें आवेदन

Uttarakhand News, उत्तराखंड में हर वर्ष लगभग 6 लाख मि.टन पिरुल (चीड़ की पत्तियां) उपलब्ध...
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देहरादून- सरकार की इस निति की मदद से आप भी बना सकेंगे पिरुल से बिजली, ऐसे करें आवेदन

Uttarakhand News, उत्तराखंड में हर वर्ष लगभग 6 लाख मि.टन पिरुल (चीड़ की पत्तियां) उपलब्ध होता है। इसके अलावा 8 मि. टन बायोमास जैसे कृषि उपज अवशेष, लैन्टना आदि भी उपलब्ध है। कुल मिलाकर प्रतिवर्ष 14 लाख मि. टन पिरुल एवं अन्य बायोमास उपलब्ध है। ऐसे में सरकार ने पिरुल एवं अन्य बायोमास के इस्तेमाल से पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जाने पर कार्य शुरु कर दिया है।

देहरादून- सरकार की इस निति की मदद से आप भी बना सकेंगे पिरुल से बिजली, ऐसे करें आवेदन

जिसके चलते राज्य सरकार द्वारा पिरुल के उपयोग से विद्युत उत्पादन, ब्रिकेट बनाने और बायो ऑयल बनाने की औद्योगिक इकाईयां लगाये जाने की नीति तैयार की गई है। इस नीति के अंतर्गत राज्य में जैव-ईधन से प्रतिवर्ष 150 मेगावाट से अधिक बिजली पैदा की जा सकेगी। जिसके लिए 250 किलोवाट क्षमता तक की विद्युत उत्पादन इकाईंया तथा 2000 मीट्रिक टन तक की ब्रिकेटिंग एवं बायो ऑयल इकाईंया स्थापित की जा सकती है।

पिरुल से 25 किलोवाट तक की बिजली बनाने के प्लांट के निर्माण में 25 लाख का खर्च है। जिससे हर वर्ष लगभग 140000 यूनिट बिजली पैदा हो सकती है। इसको विद्युत को ग्रिड में बेचने पर आपको प्रति वर्ष लगभग 7.2 लाख की धनराशि यू.पी.सी.एल से जबकि चारकोल की बिक्रि से 2.1 लाख की धनराशि प्राप्त हो सकेगी। इतना ही नहीं प्लांट के संचालन एवं रख-रखाव के लिए प्रतिवर्ष 1.60 लाख की आय भी प्राप्त होगी।

देहरादून- सरकार की इस निति की मदद से आप भी बना सकेंगे पिरुल से बिजली, ऐसे करें आवेदन

बता दें कि सरकार की इस नीति का क्रियान्वयन वन विभाग एवं उरेडा द्वारा किया जाएगा। जिसमें प्रदेश की विभिन्न संस्थाओं का चयन इस परियोजना के अंतर्गत किया गया है। इन संस्थाओं के माध्यम के ही आवेदक अपने आवेदन को सरकार तक पहुंचा सकेंगे।

इन संस्थाओं को किया चिन्हित

– समुदाय आधारित संगठन (सीबीओ) ( जैसे वन पंचायत, ग्राम पंचायत, महिला मंगल दल, स्वयं सहायता समूह आदि)
– उत्तराखंड की सोसाईटी ( सोसाइटी पंजाकरण अधिनियम 1860 के अन्तर्गत पंजीकृत)
– उत्तर प्रदेश सहकारी अधिनियम, 1965 के अधीन इकाई
– उत्तराखंड आत्म निर्भर सहकारी समिति के तहत पंजीकृत इकाई।
– स्वामित्व/भागीदारी/ प्रा.लि फर्म जो उत्तराखंड राज्य में पंजीकृत हो।
– उत्तराखंड के जिला उद्योग कार्यालयों में पंजीकृत उद्योग, रेजिंग इकाईयों सहित।

कैसे करे आवेदन

इस निति में आवेदन करने के लिए आप उक्त संस्थानों के संपर्क कर आवेदन कर सकते है। जिसके लिए अनुमोदन समिति द्वारा आबंटित परियोजनाओं से संबंधिक संस्थाओं को उरेडा द्वारा आबंटित पत्र दिये गए है, तथा विकास कर्ता (आवेदक) द्वारा परियोजना का निर्माण आबंटित तिथि से 15 माह के अंदर पूर्ण किया जाना होगा। विकासकर्ता द्वारा पिरु के एकत्रीकरण, उपयोग तथा अन्य कार्यवाही के लिए उरेडा एवं वन विभाग के साथ त्रिपक्षीय Mou हस्थाक्षर किया जाएगा। विद्युत विक्रय के लिए आपका उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन लि. के साथ पावर परचेत एग्रीमेंट किया जाएगा।

देहरादून- सरकार की इस निति की मदद से आप भी बना सकेंगे पिरुल से बिजली, ऐसे करें आवेदन

इसमें आवेदक द्वारा परियोजना निर्माण के लिए आवश्यक भूमि की व्यवस्था आपको खुद करनी होगी। इसमें (100 किलोवाट के लिए 100 वर्ग मीटर)। यदि विकासकर्ता द्वारा भूमि क्रय की जाती है तो भूमि क्रय के लिए निर्धारित स्टांप शुल्क पर सरकार द्वारा छूट प्रदान की जाएगी। पिरूल आधारित विद्युत उत्पादन, ब्रिकेटिंग तथा बायो आयल इकाईयों की स्थापना पर इन्हें उद्योग का दर्जा दिया जाएगा। जिससे आपको नीति के अंतर्गत अनुमन्य लाभ प्राप्त हो सकेंगे।