देहरादून-बोली केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण सीमा क्षेत्रों से पलायन का मतलब है, हमारी आंख और कान बंद होना

देहरादून-आज मसूरी में कई राज्यों के प्रतिनिधि हिमालयन कॉन्क्लेव में एकजुट हुए। कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी प्रतिभाग किया। उन्होंने बॉडर माइग्रेशन पर चिंता जताते हुए कहा कि सीमाओं पर पलायन रोकना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। वित्तमंत्री ने कहा कि सीमा क्षेत्रों से पलायन का मतलब है, हमारी आंख और
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देहरादून-बोली केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण सीमा क्षेत्रों से पलायन का मतलब है, हमारी आंख और कान बंद होना

देहरादून-आज मसूरी में कई राज्यों के प्रतिनिधि हिमालयन कॉन्क्लेव में एकजुट हुए। कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी प्रतिभाग किया। उन्होंने बॉडर माइग्रेशन पर चिंता जताते हुए कहा कि सीमाओं पर पलायन रोकना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। वित्तमंत्री ने कहा कि सीमा क्षेत्रों से पलायन का मतलब है, हमारी आंख और कान बंद होना। इसे केंद्र सरकार के साथ ही 15वें वित्त आयोग और नीति आयोग के सुपुर्द किया जाएगा। नीति आयोग हिमालयी राज्यों के लिए अलग प्रकोष्ठ गठित कर चुका है।

देहरादून-बोली केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण सीमा क्षेत्रों से पलायन का मतलब है, हमारी आंख और कान बंद होना

11 राज्यों के प्रतिनिधि है शामिल

हिमालयन कॉन्क्लेव में भाग ले रही हस्तियों में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, मुख्यमंत्रियों में हिमाचल के जयराम ठाकुर, मेघालय के केसी संगमा, नागालैंड के नेफ्यू रियो, अरुणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री चौना मेन, मिजोरम के मंत्री टीजे लालनंत्लुआंगा, त्रिपुरा के मंत्री मनोज कांति देब, सिक्किम के मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ महेंद्र पी लामा, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के सलाहकार केके शर्मा, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार, केंद्रीय जल व स्वच्छता सचिव परमेश्वर अय्यर, एनडीएमएमए सदस्य कमल किशोर, भारतीय वन प्रबंधन संस्थान के प्रोफेसर डॉ मधु वर्मा शामिल हैं।

देहरादून-बोली केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण सीमा क्षेत्रों से पलायन का मतलब है, हमारी आंख और कान बंद होना
बता दें कि हिमालयन कॉन्क्लेव में ग्रीन बोनस को लेकर 11 पर्वतीय राज्य पुरजोर पैरवी कर सकेंगे। उत्तराखंड में ग्रीन अकाउंटिंग और सस्टेनेबल एनवायरनमेंटल परफॉरमेंस इंडेक्स के लिए तैयार की गई अध्ययन रिपोर्ट ने अहम आंकड़ा और तथ्य मुहैया कराए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश को दी जा रही 18 वन सेवाओं की फ्लो वैल्यू 95.11 हजार करोड़ है, जबकि तीन सेवाओं की स्टॉक वैल्यू 14.13 लाख करोड़ आंकी गई है।