देहरादून-त्रिवेन्द्र सरकार 300 करोड़ से सुधारेगी सडक़ों की राइडिंग क्वालिटी, ऐसे चमकेंगी सडक़ें

देहरादून-सडक़ सुरक्षा एक गंभीर मुददा है। त्रिवेन्द्र सरकार सडक़ दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लगातार प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने निर्देश दिए हैं कि सडक़ों को चौड़ा और गड्ढा मुक्त करके उसकी राइडिंग क्वालिटी में सुधार लाया जाए। इसी कड़ी में केन्द्र सरकार ने उत्तराखंड के लिए 300 करोड़ रुपए का
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देहरादून-त्रिवेन्द्र सरकार 300 करोड़ से सुधारेगी सडक़ों की राइडिंग क्वालिटी, ऐसे चमकेंगी सडक़ें

देहरादून-सडक़ सुरक्षा एक गंभीर मुददा है। त्रिवेन्द्र सरकार सडक़ दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लगातार प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने निर्देश दिए हैं कि सडक़ों को चौड़ा और गड्ढा मुक्त करके उसकी राइडिंग क्वालिटी में सुधार लाया जाए। इसी कड़ी में केन्द्र सरकार ने उत्तराखंड के लिए 300 करोड़ रुपए का बजट जारी किया है, जिससे प्रदेशभर में कुल 1400 किमी लंबी सडक़ों को गड्ढा मुक्त कर उन पर ब्लैक टॉपिंग की जानी है। फौरीतौर पर यह काम शुरू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह ने आगामी 31 मार्च से पहले इस काम को हर हाल में पूरा करने को कहा है।

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उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक गड्ढायुक्त सडक़ों से लोगों को जल्द ही निजात मिल जाएगी। केंद्र से मिली विशेष सहायता के तहत करीब तीन सौ करोड़ की लागत से राज्य भर में करीब 14 सौ किमी लंबी सडक़ों की राइडिंग क्वालिटी बढ़ाने के लिए ब्लैक टॉप करने का काम शुरू हो गया है। अच्छी बात ये है कि ये काम इन तीन महीनों में यानि की मार्च तक कंपलीट होना है। अकेले देहरादून में 483 किलोमीटर लंबी सडक़ों को ब्लैक टॉप किए जाने का टारगेट है। चूंकि इस बजट से 1400 किलोमीटर लंबी सडक़ों को ही दुरुस्त किया जाना है लिहाजा ब्लैक टॉप के लिए शहरों और आबादी क्षेत्रों से लगी सडक़ों को प्राथमिकता दी जा रही है।

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यह काम शीतकाल में होना है तो इसकी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए विशेष कैमिकल का यूज किया जा रहा है। काम हर हाल में मार्च तक फाइनल करना होगा, अन्यथा केंद्रीय मद का ये पैसा लैप्स हो जाएगा। काम मानक के अनुरूप ही हो इसलिए समय-समय पर थर्ड पार्टी जांच के लिए भी टीमें गठित की गई हैं। थर्ड पार्टी को निर्माण कार्य का औचक निरीक्षण और गणुवत्ता चैक करने का पूरा अधिकार दिया गया है। इस पूरी कवायद का मकसद यह है कि उत्तराखंड में सडक़ों के सफर को सुरक्षित बनाया जाए।