देहरादून- विश्व की साहासी महिलाओं में शामिल है देवभूमि की ये महिला, भारत सरकार से मिला ये खास सम्मान

बछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। सन 1984 में इन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया था। वे एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की पाँचवीं महिला पर्वतारोही हैं। वर्तमान में वे इस्पात कंपनी टाटा स्टील में कार्यरत हैं, जहां वह चुने हुए लोगो को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं।
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देहरादून- विश्व की साहासी महिलाओं में शामिल है देवभूमि की ये महिला, भारत सरकार से मिला ये खास सम्मान

बछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। सन 1984 में इन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया था। वे एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की पाँचवीं महिला पर्वतारोही हैं। वर्तमान में वे इस्पात कंपनी टाटा स्टील में कार्यरत हैं, जहां वह चुने हुए लोगो को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं।

देहरादून- विश्व की साहासी महिलाओं में शामिल है देवभूमि की ये महिला, भारत सरकार से मिला ये खास सम्मान

बछेंद्री पाल का जन्म उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 24 मई 1954 को हुआ। वही से उन्होंने बी.एड की पढ़ाई पूरी की। नौकरी करने के बजाय उन्होंने ‘नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग’ कोर्स के लिये आवेदन कर दिया। यहाँ से बछेंद्री के जीवन को नई राह मिली।

देहरादून- विश्व की साहासी महिलाओं में शामिल है देवभूमि की ये महिला, भारत सरकार से मिला ये खास सम्मान

1982 में एडवांस कैम्प के तौर पर उन्होंने गंगोत्री और रूदुगैरा की चढ़ाई को पूरा किया। इस कैम्प में बछेंद्री को ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह ने बतौर इंस्ट्रक्टर पहली नौकरी दी। हालांकि पेशेवर पर्वतारोही का पेशा अपनाने की वजह से उन्हें परिवार और रिश्तेदारों के विरोध का सामना भी करना पड़ा।

भारत सरकार ने दिया पद्मश्री सम्मान

बछेंद्री के लिए पर्वतारोहण का पहला मौक़ा 12 साल की उम्र में आया, जब उन्होंने अपने स्कूल की सहपाठियों के साथ 400 मीटर की चढ़ाई की। 1984 में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ और 23 मई को ‘सागरमाथा एवरेस्ट’ पर भारत का झंडा लहराया गया। इस के साथ ही एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक क़दम रखने वाली वे दुनिया की 5वीं महिला बनीं। 1990 में उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी माउंट समिट करने वाली पहली भारतीय महिला के रूप में शामिल किया गया। वही भारत सरकार ने भी उन्हें वर्ष 1985 और 2019 में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया।