देहरादून- भारतीय सेना के इस खास काम को देवभूमि में दिया जाएगा अंजाम, रक्षा मंत्री ने किया शुभारंभ

सेना के लिए जिस टी-90 व टी-72 टैंक के फायरिंग कंट्रोल सिस्टम के निर्माण के लिए हमारा देश रूस व फ्रांस पर निर्भर था, अब उसका निर्माण मेक इन इंडिया के तहत उत्तराखंड के देहरादून में होगा। इन उत्पादों के निर्माण के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ओएलएफ में निर्मित थर्मल इमेजिंग प्रोडक्शन शॉप
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देहरादून- भारतीय सेना के इस खास काम को देवभूमि में दिया जाएगा अंजाम, रक्षा मंत्री ने किया शुभारंभ

सेना के लिए जिस टी-90 व टी-72 टैंक के फायरिंग कंट्रोल सिस्टम के निर्माण के लिए हमारा देश रूस व फ्रांस पर निर्भर था, अब उसका निर्माण मेक इन इंडिया के तहत उत्तराखंड के देहरादून में होगा। इन उत्पादों के निर्माण के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ओएलएफ में निर्मित थर्मल इमेजिंग प्रोडक्शन शॉप का ऑनलाइन माध्यम से उद्घाटन किया है।

देहरादून- भारतीय सेना के इस खास काम को देवभूमि में दिया जाएगा अंजाम, रक्षा मंत्री ने किया शुभारंभ

ओएलएफ के महाप्रबंधक शरद कुमार यादव ने कहा कि अब तक फैक्ट्री में टी-90 व टी-72 टैंक की सिर्फ डे-साइट का निर्माण किया जा रहा है। अब संस्थान परिसर में करीब आठ करोड़ रुपये की लागत से थर्मल इमेजिंग प्रोडक्शन शॉप का उद्घाटन हो जाने के बाद जल्द नाइट साइट भी तैयार की जाने लगेंगी। स्वदेशी तकनीक पर आधारित साइट की लागत भी आधी रह जाएगी।

नौसेना के लिए बनेंगे रिमोट कंट्रोल गन

ओएलएफ के महाप्रबंधक शरद कुमार यादव ने बताया कि सोमवार को रक्षा मंत्री ने प्रोडक्शन शॉप के उद्घाटन के साथ स्टेबलाइज रिमोट कंट्रोल गन की तकनीक को भी लॉन्च किया। फैक्ट्री पहली पर नौसेना के लिए यह उपकरण तैयार करने जा रही है। यह उपकरण समुद्र की लहरों के उतार चढ़ाव के बीच भी सटीक निशाना लगाने में मदद करेगा। सालभर के भीतर इसका उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।

कंट्रोल सिस्टम कैसे करता है काम

किसी भी टैंक के लिए उसका फायरिंग कंट्रोल सिस्टम सबसे अहम होता है। इसके माध्यम से हमारे जांबाज न सिर्फ दुश्मन की पहचान करते हैं, बल्कि उस पर अचूक वार भी करते हैं। यदि टैंक ऊबड़खाबड़ सतह पर चल रहा है या टारगेट लगातार हिल रहा है, तब भी यह सिस्टम उसका आकलन कर उसे मार गिराने में सक्षम होता है।

464 यूनिट होंगी तैयार

सेना को अगले पांच साल में 464 टी-90 टैंक की जरूरत है। इस लिहाज से ओएलएफ में इतनी फायरिंग साइट का निर्माण करना पड़ेगा। अब तक विदेश से आयात करने पर एक साइट (सेंसर युक्त कैमरा व बाहरी आवरण) पर 1.70 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है। ओएलएफ में ही इनका निर्माण करने पर लागत 85.55 लाख रुपये के आसपास रह जाएगी।