देहरादून- नई शिक्षा नीति के तहत उत्तराखंड में लागू होगा ये नियम, परिवेशीय भाषा को ऐसे मिलेगा बढ़ावा

राज्य में नई शिक्षा नीति लागू होने के साथ उसकी अनुसंशाओं के अनुसार अब कक्षा 5 तक प्राइवेट स्कूलों के बच्चे भी अपनी परिवेशीय भाषा के माध्यम से पढ़ सकेंगे। इसके साथ ही सरकारी स्कूलों तथा निजी स्कूलों के बीच की एक बड़ी विभाजक रेखा समाप्त हो जाएगी। अलबत्ता अलग भाषाई क्षेत्र से आने वाले
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देहरादून- नई शिक्षा नीति के तहत उत्तराखंड में लागू होगा ये नियम, परिवेशीय भाषा को ऐसे मिलेगा बढ़ावा

राज्य में नई शिक्षा नीति लागू होने के साथ उसकी अनुसंशाओं के अनुसार अब कक्षा 5 तक प्राइवेट स्कूलों के बच्चे भी अपनी परिवेशीय भाषा के माध्यम से पढ़ सकेंगे। इसके साथ ही सरकारी स्कूलों तथा निजी स्कूलों के बीच की एक बड़ी विभाजक रेखा समाप्त हो जाएगी। अलबत्ता अलग भाषाई क्षेत्र से आने वाले बच्चे को द्विभाषी माध्यम से पढ़ने की छूट होगी। यह बात शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में राज्य में नई शिक्षा नीति लागू करने वाली विद्यालयी शिक्षा कोर समिति द्वारा अपनी संस्तुतियों को अंतिम रूप देने के लिए देहरादून सीमेट सभागार में हुई मीटिंग में भाग लेकर आये समिति सदस्य शिक्षक व साहित्यकार दिनेश कर्नाटक ने कही।

हर कक्षा को मिलेगा एक शिक्षक

उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री इस बात से सहमत थे कि बच्चे अपनी भाषा में चीजों को अच्छे से सीखते व समझते हैं। बच्चे अंग्रेजी एक विषय के रूप में अवश्य पढ़ें, मगर अन्य विषयों को पढ़ने के लिए इसे बच्चों के ऊपर थोपना उचित नहीं है। इसलिए बच्चे चाहे सरकारी स्कूल के हों या निजी स्कूल के उन्हें नई शिक्षा नीति के अनुसार अपनी परिवेशीय भाषा में पढ़ने का अवसर दिया जाए। बैठक में प्राइमरी स्कूल की हर कक्षा को एक शिक्षक प्रदान करने पर सहमति बनी है। राज्य के सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा को गति प्रदान करने के लिए कंप्यूटर साइंस के पद सृजन पर सहमति भी व्यक्त की गई है।

नया शिक्षा ढांचा होगा लागू

राज्य में स्कूली शिक्षा के नए ढांचे 5+3+3+4 को लागू करने पर भी सहमति बनी है। इसके तहत अब सभी सरकारी तथा प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को 3 साल की उम्र से प्री-प्राइमरी की शिक्षा मिल सकेगी। प्री-प्राइमरी शिक्षा कक्षा 2 तक होगी, जबकि प्राथमिक शिक्षा अब कक्षा 3 से 5 तक होगी। कक्षा 6 से 8 की शिक्षा मिडिल कहलाएगी तथा कक्षा 9 से 12 की 4 साल की शिक्षा अब माध्यमिक शिक्षा कहलाएगी।

विद्यालयी शिक्षा कोर समिति ने उत्कृष्ट शिक्षकों के चयन के लिए मल्टीपल पैरामीटर्स बनाने तथा ऐसे शिक्षकों को ‘आउट ऑफ टर्न’ पदोन्नति देने की संस्तुति की है। उत्कृष्ट शिक्षकों को अकादमिक संयोजक, नियोजक, शैक्षिक प्रशासक तथा मेन्टोर बन सकने व प्रत्येक स्तर के शिक्षक को पूरे सेवाकाल में कम से कम तीन पदोन्नति के अवसर देने की संस्तुति की है।

राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण का होगा गठन

राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए नई शिक्षा नीति द्वारा प्रस्तावित स्कूल कॉम्प्लेक्स की अवधारणा में बदलाव किया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में 5 किमी क्षेत्र के स्कूलों तथा मैदानी क्षेत्रों में 10 किमी परिधि के स्कूलों का स्कूल कॉम्प्लेक्स बनेगा। पूर्णकालिक प्रधानाचार्य इसके नियंत्रण अधिकारी होंगे। शैक्षिक व्यवस्था बनाने के लिए वे संसाधनों का नियोजन करेंगे। अभी प्रत्येक ब्लॉक में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाया जाएगा। राज्य के विद्यालयों के मानक निर्धारण के लिए राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण (SSSA) का गठन होगा।

यह विद्यालयों की स्थापना हेतु न्यूनतम मानक तय करेगा। इसके अतिरिक्त महत्वपूर्ण संस्तुतियों में निजी स्कूलों के प्रबंधन में पारदर्शिता के लिए अभिभावकों की भागीदारी को बढ़ाते हुए एस. एम. सी. के गठन के प्रावधान को अनिवार्य करने की बात की गई है। वर्तमान में शिक्षा विभाग तथा परियोजनाओं की दोहरी व्यवस्था को समाप्त करने के लिए सभी मौजूदा कार्यक्रमों जैसे समग्र शिक्षा अभियान आदि को शिक्षा निदेशालय के साथ विलय कर मुख्य धारा में सम्मिलित करने की संस्तुति की गई है।