देहरादून- उत्तराखंड के इस लाल को कहा जाता था बॉक्सिंग का भीष्म पितामाह, रणभूमि में भी दिखाया था पराक्रम 

कैप्टन हरिसिंह थापा ने बॉक्सिंग में अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नेतृत्व किया। उन्हें भारतीय बॉक्सिंग का भीष्म पितामाह भी कहा जाता है। कैप्टन थापा का जन्म उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में 14 अगस्त 1932 को हुआ। उन्होंने 1958 में आयोजित तृतीय एशियाई खेलों में रजत पदक भी जीता। पिथौरागढ़ और देश का नाम रोशन करने
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देहरादून- उत्तराखंड के इस लाल को कहा जाता था बॉक्सिंग का भीष्म पितामाह, रणभूमि में भी दिखाया था पराक्रम 

कैप्टन हरिसिंह थापा ने बॉक्सिंग में अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नेतृत्व किया। उन्हें भारतीय बॉक्सिंग का भीष्म पितामाह भी कहा जाता है। कैप्टन थापा का जन्म उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में 14 अगस्त 1932 को हुआ। उन्होंने 1958 में आयोजित तृतीय एशियाई खेलों में रजत पदक भी जीता। पिथौरागढ़ और देश का नाम रोशन करने वाले कैप्टन हरि सिंह 14 अगस्त 1947 को सिग्नल ट्रेनिंग सेंटर की ब्वॉय रेजीमेंट में भर्ती हुए।

देहरादून- उत्तराखंड के इस लाल को कहा जाता था बॉक्सिंग का भीष्म पितामाह, रणभूमि में भी दिखाया था पराक्रम 

बॉक्सिंग को बनाया मुख्य खेल

खेलों की ओर रुझान होने के कारण उन्होंने बॉक्सिंग को अपना मुख्य खेल बनाया। हरी सिंह अपनी बटालियन के चैंपियन भी रहे। कैप्टन थापा 1950 में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में व्यक्तिगत चैंपियन रहे। 1954 में राष्ट्रीय मुक्केबाजी में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। 16 अक्तूबर 1957 में रंगून में आयोजित दक्षिण पूर्व एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता।

देहरादून- उत्तराखंड के इस लाल को कहा जाता था बॉक्सिंग का भीष्म पितामाह, रणभूमि में भी दिखाया था पराक्रम 

रणभूमि में भी दिखाया पराक्रम

अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज कैप्टन हरी सिंह थापा ने खेलों में ही नहीं बल्कि रणभूमि में भी पराक्रम दिखाया था। 1971 के भारत-पाक युद्ध में उन्होंने अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन किया था। देश के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए सेना ने उन्हें रक्षा पदक, संग्राम पदक, सेना मेडल, इंडियन इंडिपेंडेंट पदक और नाइन ईयर लौंग सेवा पदक भी दिया।

देहरादून- उत्तराखंड के इस लाल को कहा जाता था बॉक्सिंग का भीष्म पितामाह, रणभूमि में भी दिखाया था पराक्रम 

उत्तराखंड सरकार ने दिया सम्मान

जीवन में उनके पास तमाम मौके थे जिससे वह दुनिया के किसी भी कोने में बस सकते थे पर उन्होंने वापस उत्तराखंड आकर बच्चों को बॉक्सिंग सिखाई। उत्तराखंड सरकार ने 2013 में उन्हें द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित किया। 7 फरवरी 2021 को 89 वर्ष की उम्र में कैप्टन हरि सिंह थापा ने अंतिम सांस ली।