देहरादून- देवभूमि को नशे के प्रकोप से बचाने की ये लड़ाई है काफी पुरानी, पढ़े टिंचरी माई की पूरी कहानी

दीपा नौटियाल उत्तराखंड में जल, शिक्षा और नशे के खिलाफ जंग छेड़ने वाली महिला थी। उनका जन्म 1917 को पौड़ी गढ़वाल में हुआ। उन्होंने उत्तराखंड के गाँव-गाँव में नशे के खिलाफ अलख जगाने का काम किया। उन्होंने देवभूमि की महिलाओं को शिक्षित करने और नशामुक्ति के लिए संघर्ष करने के लिए भी प्रेरित किया। पीएम
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देहरादून- देवभूमि को नशे के प्रकोप से बचाने की ये लड़ाई है काफी पुरानी, पढ़े टिंचरी माई की पूरी कहानी

दीपा नौटियाल उत्तराखंड में जल, शिक्षा और नशे के खिलाफ जंग छेड़ने वाली महिला थी। उनका जन्म 1917 को पौड़ी गढ़वाल में हुआ। उन्होंने उत्तराखंड के गाँव-गाँव में नशे के खिलाफ अलख जगाने का काम किया। उन्होंने देवभूमि की महिलाओं को शिक्षित करने और नशामुक्ति के लिए संघर्ष करने के लिए भी प्रेरित किया।

पीएम आवास में दिया धरना

कोटद्वार के भाबर सिगड़ी गाँव में उन्होंने गांव तक जल पहुंचाने के लिए दिल्ली प्रधानमंत्री आवास के बाहर धरना दिया। और जवाहर लाल नेहरू से मिलकर गांव की पानी की समस्या को दूर किया। पौड़ी के मोटाढाक गांव में उन्होंने बच्चों की शिक्षा के लिए चंदा इक्कठा कर स्कूल बनवाया। बद्रीनाथ में दीपा को नया नाम टिंचरी माई मिला, टिंचरी बद्रीनाथ में पाये जाने वाली जड़ी बूटियों से बनी दावई को कहा जाता था, जिसका सेवन करने से शराब जैसा नशा होता।

उन्होंने वहा के युवाओं को इस लत से बचाने के लिए पहले प्रशासन का सहारा लिया लेकिन कोई मदद नहीं मिलने पर खुद ही उस नशे की दुकान को तेल डालकर फूंक दिया, और खुद को पुलिस के हवाले किया। हालाकिं पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय उनके गांव लैंसडाउन छुड़वा दिया। बाद में दीपा नौटियाल या कहे टिंचरी माई ने शिक्षा के लिए जागरूकता फैलाने और नशामुक्ति अभियान को ही अपना जीवन बना लिया।