भारत-चीन के बिगड़ते हालातों के बीच मोदी सरकार चीन को एक और छटका देने जा रही है। दरअसल केन्द्र सरकार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तेजी से कार्य कर रही है। सरकार उत्तराखंड में मैन्यूफैक्चरिंग की ओड़ कदम बढ़ाने जा रही है। जिसको जमाने के लिए पूरा खर्च भी केन्द्र सरकार उठाएगी। ऐसे में सरकार की उन देशों की कंपनियों में नजर है जो अभी तक विनिर्मिाण यानी मैन्यूफैक्चरिंग का कार्य चीन में करा रही थी। प्रदेश को औद्योगिक गलियारे से जोड़ने के लिए केन्द्र सरकार को त्रिवेन्द्र सरकार द्वारा तीन हजार एकड़ जमीन दी जाएगी।
इसलिए है उत्तराखंड पर केन्द्र की नजर
केंद्र सरकार का मानना है कि चीन को विनिर्माण में अगर मात देनी है तो इसके लिए देश के हर हिस्से में औद्योगिक विकास करने की जरूरत है। ऐसे में केंद्र की नजरें औद्योगिक रूप से पिछड़े राज्यों पर है। उत्तराखंड भी औद्योगिक रूप से पिछड़े निचले पायदान वाले छह राज्यों में शामिल है। उत्तराखंड में औद्योगिक विनिर्माण समूह विकसित करने की लंबे समय से काम चल रहा है। यह बात अलग है कि यह योजना अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है। इसका मुख्य कारण यहां एक साथ जमीन का न मिलना है।
सरकार की नज़र में ये दो जिले
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि जमीन को केंद्र सरकार को हस्तांतरित करने समेत एसपीवी गठन का मसला जल्द ही कैबिनेट में लाए जाने की भी संभावना है। इसके तहत पहले चरण में एक हजार हेक्टेयर और फिर अगले चरण में शेष दो हजार हेक्टेयर जमीन देने की तैयारी है। ‘इस संबंध में कुछ दिनों पहले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से बातचीत हुई है। उन्हें बताया गया है कि ऊधमसिंह नगर में पर्याप्त भूमि है। वहां उद्योग लग सकते हैं। इसके अलावा हरिद्वार में भी नया औद्योगिक क्षेत्र बनाया जा रहा है। निवेशकों की सहूलियतों का प्रविधान नीतियों में भी किया गया है।