देहरादून- अनाथ बच्चों के लिए कार्य करने में ये तीन जिले सबसे आगे, मंत्री रेखा आर्य ने दिये ये निर्देश

महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्या ने गुरुवार को केंद्र एवं राज्य पोषित महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये समीक्षा बैठक की। इस दौरान विभिन्न जनपदों के जिला प्रोबेशन अधिकारियों से उन्होंने कहा कि जो महिलाएं, बालिकाएं और बालक समाज की मुख्यधारा में नहीं
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देहरादून- अनाथ बच्चों के लिए कार्य करने में ये तीन जिले सबसे आगे, मंत्री रेखा आर्य ने दिये ये निर्देश

महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्या ने गुरुवार को केंद्र एवं राज्य पोषित महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये समीक्षा बैठक की। इस दौरान विभिन्‍न जनपदों के जिला प्रोबेशन अधिकारियों से उन्‍होंने कहा कि जो महिलाएं, बालिकाएं और बालक समाज की मुख्यधारा में नहीं जुड़ पाए, उनके प्रति विभाग को विशेष संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत है।

40 बच्चों का दिया लक्ष्य

इसके अलावा निराश्रित महिलाएं और अनाथ बच्चों के संबंध में चलाई जाने वाली योजनाओं की जानकारी का व्यापक प्रचार-प्रसार करने की बात उन्होंने कही। अनाथ बच्चों के लिए जनपदों में प्रायोजित कार्यक्रम की समीक्षा की गई। 90 से 60 बच्चों के लिए प्रायोजित कार्यक्रम में पिथौरागढ़ बागेश्वर एवं अल्मोड़ा ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है, लेकिन उत्तरकाशी व हरिद्वार के संतोषजनक प्रगति प्राप्त न होने पर इन्‍हें 40 बच्चों का लक्ष्य दिया गया है।

देहरादून- अनाथ बच्चों के लिए कार्य करने में ये तीन जिले सबसे आगे, मंत्री रेखा आर्य ने दिये ये निर्देश

बैठक में कोरोना काल के दौरान विभाग की ओर से संचालित गतिविधियों की समीक्षा भी की गई। विभिन्न जनपदों की ओर से सैनिटाइजिंग, फॉगिंग व दवाओं का छिड़काव, मास्क बनाने का कार्य, आइसोलेशन वार्ड बनाए जाने के अलावा कोविड के रोकथाम के लिए योगा कार्यक्रम की जानकारी दी गई। कहा कि स्टाफ व संवासिनियों को कोविड-19 के बचाव का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इसके अलावा राज्यमंत्री ने राजकीय शिशु सदन, बालगृह आदि स्थलों पर स्टाफ की ट्रेनिंग में संवेदनशीलता के विकास के लिए क्षमता विकास कार्यक्रम प्रशिक्षण के संबंध में भी निर्देश दिए। बच्चों में किस प्रकार सकारात्मक परिवर्तन किया जा सकता है, इसके बारे में संवेदनशीलता एवं मनोवैज्ञानिक प्रभाव की जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने को कहा।