देहरादून- देवभूमि के इस आंदोलनकारी के अखबार ने हिला दी थी ब्रिटिश सरकार, आज़ादी की लड़ाई में दिया अहम योगदान
विक्टर मोहन जोशी एक निडर आंदोलनकारी, समाजसेवी और कुशल संपादक थे। उनका जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा में 1 जनवरी 1896 को हुआ। इलाहाबाद के इरविन क्रिश्चियन कॉलेज से मोहन ने बी.ए किया, वह हिंदी और अंग्रेजी के विद्वान छात्र थे। 1916 में कुमाऊं परिषद में उनकी अहम भूमिका रही। मोहन 1925 में अल्मोड़ा जिला बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे। जनता को आजादी के लिए जागरुक करने के लिए उन्होंने ‘स्वाधीन प्रजा’ नाम का साप्ताहिक अखबार प्रकाशित किया।
1930 में झण्डा सत्याग्राह का किया नेतृत्व
इस अखबार में छपने वाली खबरों का प्रभाव इनता तेज होता कि अंग्रेज सरकार इससे परेशान होने लगी और बाद में अखबार पर जुर्माना भी लगा दिया गया। जिसके बाग अखबार को बंद करना पड़ा। 1929 को महात्मा गांधी की कुमाऊं यात्रा के दौरान विक्टर उनके विचारों से काफी प्रभावित हुए। 1930 में उन्होंने झण्डा सत्याग्राह का नेतृत्व भी किया। विक्टर ने नगर पालिका भवन पर तिरंगा फहराने का संकल्प लिया।
अल्मोड़ा महिला अस्पताल में लगाईं गई मूर्ति
झण्डा सत्याग्रह के दौरान हुए लाठी चार्ज में उनके सर और रीढ़ की हड्डी में काफी चोटे भी आईं। कहते है इस चोट की वजह से उनके सर में कई अन्दरूनी घाव बन गए, जिस कारण उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। वही 4 अक्टूबर 1940 को 44 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। आजादी में उनके योगदान को देखते हुए अल्मोड़ा के राजकीय महिला अस्पताल में 12 फरवारी 2004 को उनकी मूर्ति लगाई गई, बागेश्वर का राजकीय इंटर कॉलेज का नाम भी उनके ही नाम पर रखा गया है।