देहरादून- उत्तराखंड के इस लाल की बहादुरी को आज भी याद करता है देश, सरकार ने दिया ये खास सम्मान

हवलदार बहादुर सिंह बोहरा भारतीय सेना की पैराशूट रेजिमेंट के 10वीं बटालियन के एक गैर-कमीशन अधिकारी थे। जिनकों उनकी वीरता के लिए भारत सरकार ने 25 जनवरी 2009 को सर्वोच्च शौर्य वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया। बहादुर सिंह का जन्म उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में हुआ। बचपन से ही तेज तर्रार बहादुर ने बड़े
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देहरादून- उत्तराखंड के इस लाल की बहादुरी को आज भी याद करता है देश, सरकार ने दिया ये खास सम्मान

हवलदार बहादुर सिंह बोहरा भारतीय सेना की पैराशूट रेजिमेंट के 10वीं बटालियन के एक गैर-कमीशन अधिकारी थे। जिनकों उनकी वीरता के लिए भारत सरकार ने 25 जनवरी 2009 को सर्वोच्च शौर्य वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया। बहादुर सिंह का जन्म उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में हुआ। बचपन से ही तेज तर्रार बहादुर ने बड़े होकर फौज में जाने की ठानी और सेना में भर्ती हो गए।

दुश्मन से लोहा लेते हुए शहीद

उन्हें जम्मू और कश्मीर के लोज़ान में एक तलाशी अभियान के लिए स्क्वाड कमांडर के रूप में तैनात किया गया। 26 सितंबर 2008 को उन्हें आतंकवादियों के भारत सीमा में प्रवेश करने की सूचना मिली और वह उन्हें रोकने के लिए निकल पड़े। इस दौरान वह भारी आग की चपेट में आगए..

लेकिन परिस्थितियों की परवाह करने बिना अपने साहस और हिम्मत के बलबूते उन्होंने इस जंग में तीन आतंकवादियों को मार डाला और खुद भी गोली लगने से बुरी तरह जख्मी हो गए। अपनी बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए और आतंकवादियों से राष्ट्र को बचाने की इस लड़ाई में वह शहीद हो गए।