देहरादून- राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक हुई संपन्न, वन्य मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को बड़ा झटका
उत्तराखंड (Uttarakhand) की राजधानी देहरादून (Dehradun) में सीएम त्रिवेंद्र रावत (CM Trivendra Singh Rawat) की अध्यक्षता में राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक हुई। बैठक में वन मंत्री (Forest Minister) हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) के ड्रीम प्रोजेक्ट (Dream Project) कंडी मार्ग (Kandi Marg) को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। राज्य वन्यजीव बोर्ड (State Wildlife Board) ने गढ़वाल (Garhwal) से कुमाऊं (kumaon) को जोड़ने वाले वन मंत्री के इस कंडी मार्ग के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है।
राज्य को दिए थे चार विकल्प
स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड (State WildLife Board) ने कंडी मार्ग का सर्वे (Survey) कर राज्य को चार विकल्प (Options) दिए थे। साथ ही इसमें गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने के लिए चार मार्गों पर वाइल्ड लाइफ को होने वाले नुकसान और मार्ग निर्माण के खर्चे का ब्योरा भी दिया था। इसके बाद आयोजित बोर्ड की बैठक में सभी चार विकल्पों पर चर्चा के बाद इस प्रस्ताव (Proposal) को ठुकरा दिया गया। इससे वन मंत्री को बड़ी निराशा हाथ लगी है।
लालढांग चिलरखाल मोटर मार्ग को दी अनुमति
इधर, बोर्ड ने बैठक में लालढांग चिलरखाल मोटर मार्ग को अनुमति दे दी है। लालढांग चिल्लरखाल मार्ग बनने से कोटद्वार से हरिद्वार तक यात्रियों को फायदा मिलेगा। आरक्षित, अभ्यारण्य, नेशनल पार्क से लगे गांवों में इको विकास समिति का गठन किया जाएगा। वन मंत्री ने कहा कि करीब 16 सड़कों के प्रस्तावों को बोर्ड ने हरी झंडी दी है। साथ ही कई बॉर्डर रोड को भी हरी झंडी दिखाई है।
वॉलंटरी फोर्स बनाए जाने का लिया निर्णय
मामले में वन मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय पार्क और अभयारण्य के बफर और कोर जोन में स्थित गांवों को सोलर लाइट (Solar Light) दी जाएगी। वन्यजीव बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए फोर्स का गठन किया जाएगा। साथ ही प्रदेश में सभी अभ्यारण्य, राष्ट्रीय पार्क में फोर्स का गठन किया जाएगा। इसके अलावा वन्यजीव बोर्ड की बैठक हर 3 महीने में की जाएगी। बोर्ड की बैठक में वॉलंटरी फोर्स बनाए जाने का भी निर्णय लिया गया है।
बहरहाल, कंडी मार्ग गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट था। वन मंत्री हरक सिंह रावत हर कीमत पर इसे पूरा करवाना चाहते थे, लेकिन स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इससे साफ हो गया कि आने वाले समय में कंडी मार्ग के निर्माण को लेकर स्थितियां अनुकूल (Favorable) नहीं होगी।