देहरादून- (राज्य स्थापना दिवस स्पेशल) ई-ऑफिस प्रणाली त्रिवेन्द्र सरकार बड़ी कामयाबी, हर फाइल की होगीं ट्रैकिंग

देहरादून-आगामी 9 नवंबर को उत्तराखंड राज्य को बने 20 साल पूरे होने वाले है। ऐसे में त्रिवेन्द्र सरकार ने ई-ऑफिस प्रणाली को शुरू कर एक नई प्रणाली तैयार की। जिससे भ्रष्ट्राचार पर लगाम लगाई जा सकें। साथ ही साथ पारदर्शिता से काम हो सकें। प्रदेश में पहले ई-ऑफिस की शुरूआत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने
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देहरादून- (राज्य स्थापना दिवस स्पेशल) ई-ऑफिस प्रणाली त्रिवेन्द्र सरकार बड़ी कामयाबी, हर फाइल की होगीं ट्रैकिंग

देहरादून-आगामी 9 नवंबर को उत्तराखंड राज्य को बने 20 साल पूरे होने वाले है। ऐसे में त्रिवेन्द्र सरकार ने ई-ऑफिस प्रणाली को शुरू कर एक नई प्रणाली तैयार की। जिससे भ्रष्ट्राचार पर लगाम लगाई जा सकें। साथ ही साथ पारदर्शिता से काम हो सकें। प्रदेश में पहले ई-ऑफिस की शुरूआत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ई-कलेक्ट्रेट प्रणाली देहरादून में की। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का यह कदम कोरोनाकाल में ही सबसे मुफीद साबित हुआ। भविष्य के लिहाज से भी यही प्रणाली अधिक प्रभावी है। इसी के अनुरूप देहरादून कलक्ट्रेट उत्तराखंड का पहला ई-कलक्ट्रेट बन गया है। स्मार्ट सिटी और आइटीडीए के सहयोग से ई-कलक्ट्रेट की प्रणाली को विकसित किया गया है। लोग त्रिवेन्द्र सरकार के इस कदम की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे है।

आज समय की मांग के अनुसार तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग जरूरी है। जिस पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत खरे उतरे। सीएम ने कहा कि ई-कलेक्ट्रेट प्रणाली से लोगों को सुविधा तो होगी ही, अन्य विभागों में भी ई-ऑफिस प्रणाली शुरू करने के लिए प्रयास किए जाए। ई-ऑफिस प्रणाली के दूसरे चरण में तहसील एवं विकासखंड में कार्य किए जाएंगे। इसके बाद इलेक्शन ऑफिस एवं पंचस्थानी चुनाव के ऑफिस को इस प्रणाली से जोड़ा जाएगा।

ई-ऑफिस के फायदे

ई-ऑफिस के जरिए शासन की फाइलों की फील्ड मैनेजमेंट, मानव संसाधन, पब्लिक ग्रीवांस सिस्टम, अवकाश, चरित्र प्रविष्टियां आदि में तेजी आएगी। साथ ही कौन-सी फाइल कहां लंबित है, लंबित होने के कारणें की जानकारी भी आसानी से मिल सकेंगी। हालांकि त्रिवेन्द्र सरकार ने ई-ऑफिस पर फरवरी से ही काम शुरू कर दिया था। लेकिन इसके बाद आयी कोरोना महामारी से लॉकडाउन के चलते इसे रोका गया था। जिसे अब शुरू कर दिया गया है। इससे अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ ही लोगों को भी फायदा हो रहा है। उन्हें घर बैठे ही किए गए आवेदन या शिकायत पर होने वाली कार्रवाई के बारे में एसएमएस और ई-मेल के जरिए जानकारी मिल रही है। उन्हें बेवजह कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ रहे है।

फाइलों की ट्रैकिंग

गुड गवर्नेंस की दिशा में इसे त्रिवेंद्र सरकार के एक और प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले राज्य सरकार ने ई-कैबिनेट का फैसला लिया था। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य था कि कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसलों का तेजी से क्रियान्वयन लाना था। साथ ही समय की बचत व पारदर्शिता रहे। ई-ऑफिस की शुरूआत के पीछे त्रिवेन्द्र सरकार की मंशा है कि फाइलों के निस्तारण में तेजी लाने के साथ ही कार्यों के प्रति अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय है। अक्सर देखने को मिलता है कि सरकारी कार्यालयों में फाइलें एक टेबल से दूसरे टेबल तक का सफर तय करने में ही महीनों लगा देती हैं। इससे आम जनता को भी कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। लेकिन अब ई-ऑफिस के जरिए फाइलों के निस्तारण में भी तेजी आएगी। फाइलों की ट्रैकिंग भी हो सकेगी कि आखिर वो किस स्तर पर और किन कारणों से रूकी है। इसके लिए सभी अधिकारियों, कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है। ऑनलाइन प्रक्रिया के चलते कार्यों में पारदर्शिता और तेजी आएगी।

विवेकाधीन कोष से ऐसे मिलेगीं मदद

त्रिवेन्द्र सरकार ने सीएम विवेकाधीन कोष को लेकर भी एक और बडा फैसला किया है। अब सीएम विवेकाधीन कोष से मदद के लिए न सिर्फ ऑनलाइन आवेदन किया जा सकेगा, बल्कि जरूरतमंद मरीज को आर्थिक मदद एक सप्ताह के भीतर सीधे डीबीटी के जरिए उनके खाते में ही मिलेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की माने तो अक्सर जरूरतमंदों को समय पर मदद नहीं मिल पाती है। मरीज को अस्पताल में जिस समय आर्थिक सहयोग की आवश्यकता होती है उसमें अधिक समय लग जाता है, जिसके चलते वो इलाज करवाने में असमर्थ रहता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब विवेकाधीन कोष से आर्थिक मदद सीधे डीबीटी के जरिए उनके पास एक सप्ताह के दौरान चली जाएगी और भविष्य में यह भी प्रयास होंगे की इससे सीधे अस्पताल को भी जोड़ा जा सकें।