देहरादून- पढ़े उत्तराखंड की इस महिला पर्वतारोहण के संघर्ष की कहानी, राष्ट्रपति से मिल चुका ये खास सम्मान

विपरीत परिस्थितियों में भी उत्तराखण्ड की कई महिलाओं ने राष्ट्रीय पटल पर सशक्त हस्ताक्षर किये हैं। इनमें से एक हैं चंद्रप्रभा ऐतवाल। चंद्रप्रभा का जन्म 24 दिसंबर 1941 को उत्तराखंड के धारचूला में हुआ। इंटरमीडिएट कि पढाई उन्होंने नैनीताल से पूरी की। यहीं से उनके खेल जीवन की भी शुरुआत हुई। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज
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देहरादून- पढ़े उत्तराखंड की इस महिला पर्वतारोहण के संघर्ष की कहानी, राष्ट्रपति से मिल चुका ये खास सम्मान

विपरीत परिस्थितियों में भी उत्तराखण्ड की कई महिलाओं ने राष्ट्रीय पटल पर सशक्त हस्ताक्षर किये हैं। इनमें से एक हैं चंद्रप्रभा ऐतवाल। चंद्रप्रभा का जन्म 24 दिसंबर 1941 को उत्तराखंड के धारचूला में हुआ। इंटरमीडिएट कि पढाई उन्होंने नैनीताल से पूरी की। यहीं से उनके खेल जीवन की भी शुरुआत हुई। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज नैनीताल में विद्यालय स्तर में दौड़, भाला, गोला, डिस्कस फेंक आदि खेलों में उन्होंने उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की।

देहरादून- पढ़े उत्तराखंड की इस महिला पर्वतारोहण के संघर्ष की कहानी, राष्ट्रपति से मिल चुका ये खास सम्मान

कई चोटियां की फतेह

चंद्रप्रभा ने 1972 में पर्वतारोहण का बेसिक और 1975 में एडवांस कोर्स NIM उत्तरकाशी से किया। 1980 में गुलमर्ग के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्कीइंग एंड माउंटनियरिंग से स्कीइंग का कोर्स पूरा किया। 1983 तक उत्तरकाशी में प्रशिक्षक रहने के दौरान ही उन्होंने कई हिमालयी चोटियाँ फतह कीं। इसी वर्ष में 23860 फीट ऊँची माना पीक पर सफल आरोहण किया। 1984 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के अभियान के दौरान चंद्रप्रभा 27750 फीट तक पहुँचीं। लेकिन खराब मौसम की वजह से अभियान पूरा नहीं हो सका।

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इसके अलावा दिओ तिब्ब्त, भागीरथी द्वितीय, नन्दाकोट शिखर, सुदर्शन, बन्दरपूंछ चोटी ऐसी दर्जनों चोटियों पर सफल आरोहण किया। न केवल पर्वतारोहण के श्रेत्र में बल्की चंद्रप्रभा ने अलकनंदा और गंगा नदी में आयोजिन कई रिवर राफ्टिंग अभियान में भी हिस्सा लिया। राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल द्वारा 29 अगस्त 2010 को सुश्री चंद्रप्रभा ऐतवाल को लाइफ टाइम अचीवमेंट के लिए तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड-2009 से सम्मानित भी किया गया।