देहरादून- पढ़ियें पद्मश्री लवराज सिंह धर्मशक्तु की शिखर तक पहुंचने की कहानी, ऐसे कमाया दुनिया भर में नाम

Love Raj Singh Dharmshaktu, उत्तराखंड के बहुत ही पिछड़े और अविकसित गॉव बोना, जिला पिथौरागढ़ में जन्मे पद्मश्री लवराज सिंह धर्मशक्तु ने साहसिक खेलों और हिमालयी पर्यावरण से प्रेम के चलते पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, पैराग्लाईडिंग, राफटिंग इत्यागि क्षेत्रों में अपनी एक विषिष्य पहचान बनाई है। नेहरु पर्वतारोहण संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरान्त धर्मशक्तु ने
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देहरादून- पढ़ियें पद्मश्री लवराज सिंह धर्मशक्तु की शिखर तक पहुंचने की कहानी, ऐसे कमाया दुनिया भर में नाम

Love Raj Singh Dharmshaktu, उत्तराखंड के बहुत ही पिछड़े और अविकसित गॉव बोना, जिला पिथौरागढ़ में जन्मे पद्मश्री लवराज सिंह धर्मशक्तु ने साहसिक खेलों और हिमालयी पर्यावरण से प्रेम के चलते पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, पैराग्लाईडिंग, राफटिंग इत्यागि क्षेत्रों में अपनी एक विषिष्य पहचान बनाई है। नेहरु पर्वतारोहण संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरान्त धर्मशक्तु ने माउण्ड एवरेस्ट पर 7 बार सफलता पूर्वक चढ़ाई की।

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एवरेस्ट से हटाया 700 किलो कचरा

बता दें कि लवराज सिंह धर्मशक्तु ने 10 बार एवरेस्ट के पर्वतारोहण अभियानों में भाग लिया। विभिन्न दिशाओं से माउण्ड एवरेस्ट पर चढ़ने का भी उनका अपना एक कीर्तिमान है। इतना ही नहीं अपने पर्वतों से प्रेम के कारण ही उन्होंने हिमायल को स्वच्छ रखने की मुहिम में योगदान करते हुए अपनी संख्या बीएसएफ की मदद से एवरेस्ट के उच्च स्थलीय कैम्पों में छोड़ा गया 700 किलो कचरा हटाने का भी महत्वपूर्ण कार्य किया।

देहरादून- पढ़ियें पद्मश्री लवराज सिंह धर्मशक्तु की शिखर तक पहुंचने की कहानी, ऐसे कमाया दुनिया भर में नाम

इतना ही नहीं भारत की कंचनजंगा, त्रिशूल इत्यादि अन्य कई चोटियों पर भी पर्वतारोहण अभियान करने का कीर्तिमान उनके नाम है। जिसको मिलाकर हिमालय में उन्होंने 50 पर्वतारोहण अभियानों में भाग लिया है। इन अभियानों में गम्मभीर दुर्घटनाओं एवं चोटों के बावजूद भी उन्होंने न केवल अपनी इन साहसिक वृत्ति को बनाये ही रखा है बल्कि प्रशिक्षण के माध्यम से अनेक प्रशिक्षुओं को भी निरन्तर प्रेरित किया है।

बीएसएफ में रह चुके है असिस्टेंट कमाण्डेंट

वर्ष 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में आयी भीषण आपदा में बीएसएफ टीम के साथ उन्होंने सक्रिय रुप से सहायता एवं पुनर्वास अभियान भी चलाया। बीएसएफ में असिस्टेंट कमाण्डेंट रह चुके लवराज सिंह धर्मशक्तु को उनकी इन विशिष्टताओं के कारण कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। इनमें पर्वतारोहण के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान- ‘तेन सिंह नोर्गे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार’ 2003 एवं सर एडमण्ड हिलेरी के द्वारा दिया गया पुरस्कार भी सम्मिलित हैं।

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भारत सरकार ने पर्वतारोहण के क्षेत्र में उनकी इस विशिष्टता को सम्मानित करते हुए वर्ष 2014 में पद्मश्री से अलंकृत किया। ऐसे हिमालय प्रेमी, पर्यावरण प्रेमी और सहासिक खेलों के पुरोधा लवराज सिंह धर्मशक्तु को डी.लिट् की मानद उपाधि से भी विश्वविद्यालय द्वारा नवाजा गया।