देहारदून- प्रदेश में प्रवासियो के लिए खुल रहे रोजगार के नये रास्ते, जाने कितनों ने शुरु किया रोजगार
कोरोना संकट के चलते उपजी परिस्थितियों के बीच उत्तराखंड के गांव नई उम्मीद जगा रहे हैं। ग्रामीणों को रोजगार मिला है तो गांव में संसाधन भी विकसित हो रहे हैं। यह संभव हो पाया है महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के कारण। माहभर के वक्फे में ही मनरेगा में 17 हजार से ज्यादा काम शुरू होना और इनमें कार्य करने वाले लोगों की संख्या दो लाख पार होना इसकी तस्दीक करता है।
8 हजार प्रवासी को मनरेगा में मिले जॉबकार्ड
करीब आठ हजार प्रवासियों को मनरेगा में जॉबकार्ड उपलब्ध कराए गए हैं, जिनमें से पांच हजार से ज्यादा कार्य कर रहे हैं। लॉकडाउन होने पर मनरेगा के कार्य भी ठप हो गए थे। बाद में केंद्र सरकार ने मनरेगा में कार्य शुरू करने की छूट दी तो 20 अप्रैल से उत्तराखंड में भी इसकी पहल शुरू हुई। तब करीब 1400 कार्य प्रारंभ किए गए और 16 हजार श्रमिकों को काम मिला। इसके बाद तो लोगों ने भी रुचि ली और मनरेगा के कार्यों ने रफ्तार पकड़नी शुरू की।
23 मई तक मनरेगा में प्रांरभ किए गए कार्यों की संख्या 17184 पहुंच गई, जबकि श्रमिकों की संख्या 220351 हो गई है। ऐसे में मनरेगा ने बदली परिस्थितियों में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नई उम्मीदें जगाई हैं। मनरेगा के राज्य समन्वयक मो. असलम बताते हैं कि 20 अप्रैल से अब तक 7972 नए परिवारों का पंजीकरण कर उन्हें जॉबकार्ड दिए गए हैं। नए जॉब कार्डधारी परिवारों में से 5185 श्रमिक भी मनरेगा में काम कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि ये सभी प्रवासी हैं, जो लॉकडाउन होने पर गांव लौटे थे। बता दें कि तब राज्यभर में करीब 60 हजार प्रवासी लौटे थे। अब जबकि बड़ी तादाद में प्रवासी लौट रहे हैं तो उनमें से भी अच्छी-खासी संख्या में लोग मनरेगा से जुड़ेंगे। ये हो रहे काम जल संरक्षण (खाल-चाल, नहरों व गूलों का निर्माण-मरम्मत), फसल सुरक्षा को वन्यजीव रोधी दीवार, सीसी-खंड़जा मार्ग, डेमस्क रोज आदि।