देहरादून- पढ़े कैसी थी उत्तराखंड के पहले कवि की कहानी, 12 सल तक रखा ब्रह्मचर्य व्रत

गुमानी पन्त कुमाऊँनी तथा नेपाली के प्रथम कवि थे। कुछ लोग उन्हें खड़ी बोली का प्रथम कवि भी मानते हैं। उनका जन्म उत्तराखंड के नैनीताल में 27 फरवरी 1770 को हुआ। डॉ. भगत सिंह के अनुसार कुमाँऊनी में लिखित साहित्य की परंपरा 19वीं शताब्दी से मिलती हैं और यह परंपरा प्रथम कवि गुमानी पंत से
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देहरादून- पढ़े कैसी थी उत्तराखंड के पहले कवि की कहानी, 12 सल तक रखा ब्रह्मचर्य व्रत

गुमानी पन्त कुमाऊँनी तथा नेपाली के प्रथम कवि थे। कुछ लोग उन्हें खड़ी बोली का प्रथम कवि भी मानते हैं। उनका जन्म उत्तराखंड के नैनीताल में 27 फरवरी 1770 को हुआ। डॉ. भगत सिंह के अनुसार कुमाँऊनी में लिखित साहित्य की परंपरा 19वीं शताब्दी से मिलती हैं और यह परंपरा प्रथम कवि गुमानी पंत से लेकर आज तक चली आ रही है।

12 वर्ष ब्रह्मचर्य व्रत का किया पालन

गुमानी पंत की शिक्षा मुरादाबाद से पूरी हुई। उन्होंने 12 वर्ष तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया। गुमानी पंत ने कुछ वर्षों तक बद्रीनाथ के समीप दूर्वारस पीकर तपस्या भी की। राजकवि के रूप में वे सर्वप्रथम काशीपुर नरेश गुमान सिंह देव की राजसभा में नियुक्त हुए।