देहरादून- पहाड़ो में खेती बचाने के लिए सरकार ने बनाई ये खास योजना, केन्द्र से मांगी 50 करोड़ की मदद

उत्तराखंड में खेती की जमीन को जंगली जानवरों से बचाने के लिए वन विभाग नई योजना लेकर आया है। इसमें वन्यजीवों से प्रभावित क्षेत्रों में सोलर फेंसिंग और हाथी रोधक दीवार बनाकर खेती को जानवरों से बचाया जाएगा। वन विभाग ने इसके लिए भारत सरकार से 50 करोड़ की मदद की मांग की है। जिस
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देहरादून- पहाड़ो में खेती बचाने के लिए सरकार ने बनाई ये खास योजना, केन्द्र से मांगी 50 करोड़ की मदद

उत्तराखंड में खेती की जमीन को जंगली जानवरों से बचाने के लिए वन विभाग नई योजना लेकर आया है। इसमें वन्यजीवों से प्रभावित क्षेत्रों में सोलर फेंसिंग और हाथी रोधक दीवार बनाकर खेती को जानवरों से बचाया जाएगा। वन विभाग ने इसके लिए भारत सरकार से 50 करोड़ की मदद की मांग की है। जिस पर सैद्धांतिक मंज़ूरी भी मिल गई है।

देहरादून- पहाड़ो में खेती बचाने के लिए सरकार ने बनाई ये खास योजना, केन्द्र से मांगी 50 करोड़ की मदद

दरअसल कोरोनाकाल में अन्य राज्यों से वापस लौटे प्रवासियों को कृषि के क्षेत्र में रोज़गार देने के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं लेकिन इन सभी पर जंगली जानवर ग्रहण लगा सकते हैं। उत्तराखंड में खेती को बंदरों, जंगली सूअरों और हाथियों ने बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया है। इसकी वजह लोग खेती करना छोड़ रहे हैं और रोज़गार के लिए अन्य शहरों में पलायन कर रहे हैं।

केन्द्र से मांगे 50 करोड़

वही अब वन विभाग जंगली जानवरों से प्रभावित क्षेत्रों में सोलर फेंसिंग, हाथी रोधक दीवार और अन्य उपायों से जंगली जानवरों को रोकने पर कराम कर रहा है। वन मंत्री हरक सिंह रावत की माने तो इसके लिए योजना तैयार है और केंद्र सरकार से 50 करोड़ की मदद भी मांगी गई है। केंद्र ने इस पर सैद्धांतिक सहमति भी दे दी है। केंद्र से पैसा मिलेते इस योजना पर काम शुरु कर दिया जाएगा। हालांकि पहाड़ में खेती, बागवानी और फ्लोरीकल्चर के लिए बेसिक सुविधाएं भी ज़रूरी है।

देहरादून- पहाड़ो में खेती बचाने के लिए सरकार ने बनाई ये खास योजना, केन्द्र से मांगी 50 करोड़ की मदद

 

यह ठीक है कि जंगली जानवर खेती के क्षेत्र में सबसे ज्यादा नुकसान करते हैं लेकिन सिंचाई और पहाड़ों से ट्रांसपोर्टेशन से माल को मंडी तक पहुंचाना भी चुनौती भरा काम है। अगर राज्य सरकार के सभी विभाग मिलकर इस ओर ध्यान देंगे तो उत्तराखंड हिमाचल की तर्ज पर जल्द ही नई ऊंचाइयों को छू सकता है। ज़रूरत है इच्छाशक्ति की और सरकार की मजबूत प्लानिंग की ताकि उत्तराखंड में लौटे पांच लाख से अधिक प्रवासी उत्तराखंडियों को उनके ही घर में रोजगार मिल सके।