देहरादून- पहाड़ों में रोजगार को ऐसे पंख लगाने में जुटी सरकार, आप भी उठाइयें “Home Stay” योजना का लाभ
Home Stay Yojna Uttarakhand, पहाड़ों क्षेत्रों से पलायन को रोकने के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। ऐसे में उत्तराखंड सरकार ने पलायन रोकने तथा पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगो को रोजगार देने के लिए होम स्टे योजना शुरू की है। उत्तराखंड में पर्यटन की आपार संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने यह महत्तवपूर्ण कदम उठाया है। इतना ही नहीं इस योजना का लाभ उठाने वाले लाभार्थियों को सरकार 33 प्रतिशत यानी 10 लाख तक की छूट भी दे रही है। इस योजना में आप अपने घर पर ही पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था कर सकते है। जिससे आपको आमदनी भी होगी।
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2020 तक प्रदेश भर में बनेंगे पांच हजार होम स्टे
सरकार की होम स्टे योजना का अधिक से अधिक लोगो को लाभ पहुंचाने वह तथा प्रदेश में पर्यटन को बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020 तक पूरे प्रदेश में पांच हजार होम स्टे बनाने का लक्ष्य रखा है। जिसके तहत यदि किसी भी व्यक्ति के पास पहाड़ में अपनी जमीन या घर है। तो वहा आने वाले पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था बनाने के लिए होम स्टे बनाने की शुरू की गई है।
जिसमें अपने घर या जमीन को पर्यटकों के योग्य सवारने के लिए सरकार आपको आर्थिक रुप से मदद करेगी। जिसके लिए सरकार ने वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली व दीनदयाल होम स्टे योजना शुरु की है।वर्तमान में इन योजनाओ की सहीं जानकारी नहीं होने से लोगों को इनका लाभ नहीं मिल रहा है।
अब जागरुकता शिविर में योजनाओं की बारिकी से जानकारी दी जाएगी। शिविर में पर्यटन विभाग व बैंक के प्रतिनिधि लाभार्थियों को योजना से संबंधित औपचारिकतायें पूरी करने के बारे में बराएंगी। बता दें कि दीनदयाल होम स्टे योजना में कोई भी व्यक्ति मकान को होम स्टे के रुप में पंजीकत कर सकता है और इसे पर्यटन आवास के रूप प्रयोग में ला सकते है।
क्या है होम स्टे योजन
होम स्टे योजना के तहत मैदानी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत या साढ़े सात लाख रुपये और पर्वतीय क्षेत्रों में 33 प्रतिशत या 10 लाख रुपये तक की छूट का प्रावधान किया गया है। वहीं ब्याज में भी पहले 5 वर्ष तक मैदानी क्षेत्रों में एक लाख व पर्वतीय क्षेत्रों में डेढ़ लाख प्रति वर्ष तक की छूट रखी गई है। सरकार ने होम स्टे लाभर्थियों को स्टांप शुल्क की प्रतिपूर्ति करने का निर्णय लिया है। यदि कोई रुपचित होम स्टे के लिए बैंक 10 लाख रुपये का ऋण लेता है तो उसे सात प्रतिशत के हिसाब से 70 हजार स्टांप शुल्क देना पड़ता था।
लेकिन अब पर्यटन विभाग के मध्यम से इसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी। प्रदेश के किसी एक क्षेत्र में छह से अधिक होम स्टे पंजीकृत होते हैं तो सरकार सड़क, बिजली, पानी, पार्क समेत अन्य अवस्थापना कार्य कराके इस क्षेत्र के बतौर कलस्टर विकसित करेगी। राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर इसका प्रचार प्रसार किया जाएगा। पलायन कर चुके लोग वापस गांव लौट कर होम स्टे को रोजगार के रुप में अपना सकते है।