देहरादून- शहर-गांव के गैप को दूर करेंगे रूरल ग्रोथ सेंटर, ये है सीएम त्रिवेन्द्र का ड्रीम प्रोजेक्ट

देहरादून- राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में क्लस्टर आधारित एप्रोच पर ग्रोथ सेंटर विकसित कर रही है। प्रदेश की 670 न्याय पंचायतों मे ग्रोथ सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इनमें से 58 ग्रोथ सेंटर को मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें एग्रीबिजनेस, आईटी, ऊन, काष्ठ, शहद, मत्स्य आधारित ग्रोथ सेंटर शामिल हैं। उत्तराखण्ड की विकास दर, देश
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देहरादून- शहर-गांव के गैप को दूर करेंगे रूरल ग्रोथ सेंटर, ये है सीएम त्रिवेन्द्र का ड्रीम प्रोजेक्ट

देहरादून- राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में क्लस्टर आधारित एप्रोच पर ग्रोथ सेंटर विकसित कर रही है। प्रदेश की 670 न्याय पंचायतों मे ग्रोथ सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इनमें से 58 ग्रोथ सेंटर को मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें एग्रीबिजनेस, आईटी, ऊन, काष्ठ, शहद, मत्स्य आधारित ग्रोथ सेंटर शामिल हैं। उत्तराखण्ड की विकास दर, देश की विकास दर से अधिक रही है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2016-17 में 1,61172 रूपए थी जो कि वर्ष 2018-19 में बढक़र 198,738 रूपए हो गई है। इस प्रकार प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय देश की औसत प्रति व्यक्ति आय से 72332 रूपए अधिक हो गई है।

देहरादून- शहर-गांव के गैप को दूर करेंगे रूरल ग्रोथ सेंटर, ये है सीएम त्रिवेन्द्र का ड्रीम प्रोजेक्ट

पलायन रोकने में जुटे सीएम

आर्थिक वृद्धि का यह लाभ राज्य के दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों व ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने और वहां से हो रहे पलायन को रोकने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड ग्राम्य विकास व पलायन आयोग की स्थापना की थी। रिपोर्ट के अनुसार आजीविका के साधनों का अभाव, पलायन का सबसे बड़ा कारण माना गया। स्थानीय संसाधनों व परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रणनीति बनाए जाने की आवश्यकता बताई गई। सरकार व शासन स्तर पर गहन मंथन के बाद तय किया गया कि बिजली, सडक़, पानी, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी आधारभूत सुविधाओं के विकास के साथ ही ग्रामीणों के लिए आजीविका के साधन जुटाए जाने पर सबसे अधिक फोकस किया जाए। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए। ऐसा तभी हो सकता है जबकि स्थानीय तौर पर उपलब्ध संसाधनों पर आधारित योजना तैयार की जाए। इसके बैकवर्ड व फारवर्ड लिंकेज तैयार किए जाएं।

विकसित किए जाने वाले ग्रोथ सेंटर जड़ी-बूटी, बर्ड वाचिंग, पर्यटन, एग्रीबिजनेस, शहद, हर्बल, रेशम, बांस व रेशा, ऊन, मसाले, मत्स्य पालन, आईटीए काष्ठ, मंडुवा, झंगौरा, चैलाई आदि पारम्परिक अनाज आदि पर आधारित हैं। इन ग्रोथ सेंटरों से ग्रामीणों को उत्पादन के लिए आवश्यक सहयोग मिलेगा और उत्पादन को मार्केट भी उपलब्ध करवाया जाएगा। युवाओं को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार व आजीविका प्राप्त होगी। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।