देहरादून- इनके प्रयासों से बद्री केदार आने वाले यात्रियों को मिली ये सुविधा, इतना संघर्ष भरा रहा जीवन

अनुसूया प्रसाद बहुगुणा एक समाजसेवी और उत्तराखंड के स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म चमोली जिले में 18 फरवरी 1864 को हुआ। वे गढ़केसरी सम्मान से संबोधित भी थे। अनुसूया प्रसाद की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव नंदप्रयाग से हुई। इलाहाबाद से उन्होंने बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। शिक्षा के समय से ही बहुगुणा के
 | 
देहरादून- इनके प्रयासों से बद्री केदार आने वाले यात्रियों को मिली ये सुविधा, इतना संघर्ष भरा रहा जीवन

अनुसूया प्रसाद बहुगुणा एक समाजसेवी और उत्तराखंड के स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म चमोली जिले में 18 फरवरी 1864 को हुआ। वे गढ़केसरी सम्मान से संबोधित भी थे। अनुसूया प्रसाद की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव नंदप्रयाग से हुई। इलाहाबाद से उन्होंने बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। शिक्षा के समय से ही बहुगुणा के मन में देशभक्ति के लिए ज्वाला उठने लगी।

नमक सत्याग्रह आंदोलन का किया नेतृत्व

1919 में ये बैरिस्टर मुकुन्दी लाल के साथ कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने लाहौर गए। वहां से लौटकर समाज सुधार और जन संगठन के कार्यों में जुट गए। 1921 में इन्हें गढ़वाल नवयुवक सम्मेलन संगठन का अध्यक्ष बनाया गया। 1930 में उन्होंने गढ़वाल नमक-सत्याग्रह आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। अनुसूया प्रसाद बहुगुणा के प्रयासों

देहरादून- इनके प्रयासों से बद्री केदार आने वाले यात्रियों को मिली ये सुविधा, इतना संघर्ष भरा रहा जीवन

से ही हिमालय एयरवेज नाम की एक कंपनी ने बद्री केदार धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए हरिद्वार से गौचर तक हवाई सर्विस शुरू की। 1937 में वे गढ़वाल से संयुक्त प्रान्त की विधान परिषद के सदस्य चुने गए। व्यक्तिगत सत्याग्रह में 14 दिसंबर 1941 को इन्हें एक साल की सज़ा हुई। जेल में स्वास्थ्य खराब होने पर 23 मार्च 1943 को इनका निधन हो गया।