देहरादून-देवभूमि की बेटी ने अंटार्कटिका में रचा इतिहास, विश्व में बजा उत्तराखंड का डंका

देहरादून-न्यूज टुडे नेटवर्क-आज देवभूमि का नाम हर क्षेत्र में रोशन हो रहा है। खासकर बेटियों ने देवभूमि उत्तराखंड को एक नई पहचान दी है। आज सौंदर्य, सेना, बालीवुड, खेलों से लेकर देश के बड़े-बड़े पदों पर देवभूमि की छोरियों ने अपना कब्जा जमा रखा है। इसी क्रम में एक और बेटी का नाम जुड़ गया
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देहरादून-देवभूमि की बेटी ने अंटार्कटिका में रचा इतिहास, विश्व में बजा उत्तराखंड का डंका

देहरादून-न्यूज टुडे नेटवर्क-आज देवभूमि का नाम हर क्षेत्र में रोशन हो रहा है। खासकर बेटियों ने देवभूमि उत्तराखंड को एक नई पहचान दी है। आज सौंदर्य, सेना, बालीवुड, खेलों से लेकर देश के बड़े-बड़े पदों पर देवभूमि की छोरियों ने अपना कब्जा जमा रखा है। इसी क्रम में एक और बेटी का नाम जुड़ गया है जिसने अपनी मेहनत के दम पर दुनियां भर में देवभूमि का नाम रोशन किया है। देहरादून की पायल आर्य ने अंटार्कटिका में देवभूमि ही नहीं बल्कि देश का मान बढ़ाया है। भारत के 38वें अंटार्कटिका अभियान में सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से शामिल हुईं पायल आर्य को पहली युवा महिला सर्वेयर बनने का गौरव मिला है। वह तीन माह का कठिन अभियान पूरा कर दून वापस लौट आई हैं।

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मौसम की चुनौतियों को किया पार

बताया जा रहा है कि मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ एंड साइंस की ओर से हर साल अंटार्कटिका में वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक्सपीडिशन का आयोजन किया जाता है। इसमें देशभर के संस्थानों के वैज्ञानिक शामिल होते हैं। अंटार्कटिका अभियान में सर्वे ऑफ इंडिया के लिए पायल ने मैत्री स्टेशन में कंटूर मैपिंग, जीपीएस मैपिंग में सफलता अर्जित की। वहां हर दम बर्फ रहती थी। ऐसे में उन्हें मौसम की चुनौतियों से पार पाना पड़ा। उनकी यात्रा 27 नवंबर को मुंबई से शुरू हुई

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मैंने एक सपना देखा- पायल

पायल आर्य देहरादून की निवासी है। उनके पिता रिटायर्ड सूबेदार मेजर पीएल आर्य ने सेना के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम में सेवाएं दीं। वह आईआईपी से भी रिटायर हो चुकी हैं। जबकि पायल की माता सुनीता आर्य गृहणी हैं। अपनी सफलता से पायल काफी खुश है। उन्होंने बताया कि हर किसी का सपना होता है। मैंने भी एक सपना देखा और मुझे मौका मिला तो उसे भुना दिया।