देहरादून-सीएम त्रिवेन्द्र ने पर्यावरण दिवस पर जनता को दिया खास संदेश, ऐसे करें पर्यावरण बचाने में सहयोग

देहरादून-आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड देवभूूमि है। हम प्रकृति के बहुत नजदीक रहते है। यानि हम एक तरह से प्रकृति पूजक है। उत्तराखंड का 71 प्रतिशत क्षेत्र में वनों से ढका है। जिमसें 48 प्रतिशत भू-भाग वनों से आछदित हैै। यह वह भूमि
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देहरादून-सीएम त्रिवेन्द्र ने पर्यावरण दिवस पर जनता को दिया खास संदेश, ऐसे करें पर्यावरण बचाने में सहयोग

देहरादून-आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड देवभूूमि है। हम प्रकृति के बहुत नजदीक रहते है। यानि हम एक तरह से प्रकृति पूजक है। उत्तराखंड का 71 प्रतिशत क्षेत्र में वनों से ढका है। जिमसें 48 प्रतिशत भू-भाग वनों से आछदित हैै। यह वह भूमि है जहंा से चिपको आंदोलन की शुरूआत हुई। एक दूरस्थ गांव रैणी में गोरा देवी जैसी महिला ने दुनियां को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया। उन्होंने वनों को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह भी नहीं की।

देहरादून-सीएम त्रिवेन्द्र ने पर्यावरण दिवस पर जनता को दिया खास संदेश, ऐसे करें पर्यावरण बचाने में सहयोग

सीएम ने प्रदेश की जनता से अपील की कि हमारे घर मेंं कोई मांगलिक कार्य हो, नये मेहमान का आगमन हो, नई नौकरी लगे या फिर अपने पितृों की याद में एक पेड़ अवश्य लगाये। इसके अलावा गृह प्रवेश में घर में एक फलदार वृक्ष लगा सकते है। उन्होंने लोगों से कहा कि हमें पर्यावरण को बचाना है। चिपकों आंदोलन की जन्मदाता गौरा देवी ने पेड़ों को बचाने के लिए चिपकों आंदोलन चलाया।

बता दें कि चिपको आंदोलन की शुरुआत चमोली जिले में गोपेश्वर नाम के एक स्थान पर की गई थी। आंदोलन वर्ष 1972 में शुरु हुई जंगलों की अंधाधुंध और अवैध कटाई को रोकने के लिए शुरू किया गया। इस आंदोलन में महिलाओं का भी खास योगदान रहा और इस दौरान कई नारे भी मशहूर हुए और आंदोलन का हिस्सा बने। आंदोलन में वनों की कटाई को रोकने के लिए गांव के पुरुष और महिलाएं पेड़ों से लिपट जाते थे और ठेकेदारों को पेड़ नहीं काटने दिया जाता था। जिस समय यह आंदोलन चल रहा था, उस समय केंद्र की राजनीति में भी पर्यावरण एक एजेंडा बन गया था। इस आन्दोलन को देखते हुए केंद्र सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम बनाया।