Covid-19: रीसर्च- ठीक हुए लोगों से हो सकता है कोरोना मरीजों का इलाज

कोरोना वायरस (Corona Virus) दुनियाभर के लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है। दुनिया भर में उसके इलाज के लिए नए-नए तरीके खोजे जा रहे हैं। जिसे देख कर अलग-अलग देश कोरोना वायरस पर रिसर्च (Research) कर रहे हैं। ऐसे ही एक रिसर्च में पता चला है कि कोरोना संक्रमित (Corona Infected) से
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Covid-19: रीसर्च- ठीक हुए लोगों से हो सकता है कोरोना मरीजों का इलाज

कोरोना वायरस (Corona Virus) दुनियाभर के लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है। दुनिया भर में उसके इलाज के लिए नए-नए तरीके खोजे जा रहे हैं। जिसे देख कर अलग-अलग देश कोरोना वायरस पर रिसर्च (Research) कर रहे हैं। ऐसे ही एक रिसर्च में पता चला है कि कोरोना संक्रमित (Corona Infected) से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर से एंटीबॉडीज (Antibodies) निकालकर किसी दूसरे संक्रमित मरीज को चढ़ाने से इसका इलाज किया जा सकता है। इस तकनीक (Technique) को कोन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी (convalescent plasma therapy) कहा जा रहा है।
Covid-19: रीसर्च- ठीक हुए लोगों से हो सकता है कोरोना मरीजों का इलाज
इस थेरेपी (Therapy) को कोरोना वायरस की वैक्सीन (Vaccine) मिलने तक एक अच्छा विकल्प माना जा सकता है। इस थेरेपी का प्रयोग चीन में गंभीर रूप से बीमार 10 लोगों पर किया भी जा चुका है। प्रयोग में पता चला की पहली तो उसके बाद है इन मरीजों की सेहत में सुधार होना शुरू हो गया है। इस थेरेपी के दो दिन बाद ही देखा गया कि मरीजों का बुखार (Fever), खांसी (Sneezing), सांस लेने में परेशानी (breathing problem) और छाती का दर्द (chest pain) काफी हद तक ठीक हो गया है।

जानें कैसे काम करती है यह थेरेपी
प्लाज्मा (plasma), खून का एक कंपोनेट (Component) होता है। जब कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से ठीक होता है तो उसके शरीर में यह महामारी (pandemic) फैलाने वाले वायरस के प्रति एंटीबॉडी बन जाती है। प्लाज्मा के जरिये वो एंटीबॉडीज निकालकर संक्रमित मरीज (infected patient) में चढ़ाई जाती है। इससे मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और वायरस के खिलाफ मजबूती से लड़ सकती है।

स्टडी में पता चला कि प्लाज्मा चढ़ाए जाने के कारण मरीज के शरीर में लिम्फोसाइट (lymphocytes) बढ़ते हैं, लिवर और फेफड़ों (liver and lungs) की स्थिति में सुधार होता है और सूजन कम होती है। इस दौरान मरीज की सेहत पर कोई विपरित प्रभाव नहीं पड़ता। अमेरिका (America) में पिछले महीने इस थैरेपी के इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। इसके बाद वहां के कई अस्पतालों ने इसके क्लीनिकल ट्रायल (clinical trial) शुरू किए हैं।