COVID-19: कोरोना मरीजों की इलाज के लिए प्रोटोकॉल में शामिल की गई ये नई दवा

मेरठ: कोरोना मरीजों (Corona Patients) की मौत की दर बढ़ती जा रही है। इसको देखते हुए मेरठ मेडिकल कॉलेज में इलाज के प्रोटोकॉल (Protocol) में एक नई दवा शामिल की गई है। विशेषज्ञों को आशंका है कि कोरोना वायरस (Corona Virus) खून में चिपचिपापन बढ़ाकर थक्के बना रहा है। इसी कारण अब मरीजों को खून
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COVID-19: कोरोना मरीजों की इलाज के लिए प्रोटोकॉल में शामिल की गई ये नई दवा

मेरठ: कोरोना मरीजों (Corona Patients) की मौत की दर बढ़ती जा रही है। इसको देखते हुए मेरठ मेडिकल कॉलेज में इलाज के प्रोटोकॉल (Protocol) में एक नई दवा शामिल की गई है। विशेषज्ञों को आशंका है कि कोरोना वायरस (Corona Virus) खून में चिपचिपापन बढ़ाकर थक्के बना रहा है। इसी कारण अब मरीजों को खून पतला करने की दवा देना शुरू की गई है। फेफड़े में खून के थक्के (Blood clots) पहुंचने से सूजन बढ़ जाती हैं। और सांस लेने में काफी तकलीफ होती हैं, जिससे मरीज की मौत हो जाती है। ऐसे में यह दवा कई लोगों की जिंदगी बचा सकती है।

COVID-19: कोरोना मरीजों की इलाज के लिए प्रोटोकॉल में शामिल की गई ये नई दवाशासन (Governance) से ओएसडी बनाकर मेरठ भेजे गए केजीएमयू के डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि मेरठ में कोरोना से मौतों की दर ज्यादा है। पोस्टमार्टम (Post-mortem) के जरिए किसका अध्ययन भी किया जाएगा। कोरोना वायरस पर पूरी दुनिया में शोध (Research) हो रहे हैं। जिसमें 65 से 79 प्रतिशत भर्ती मरीजों में थक्का बनने की प्रवृत्ति देखी गई हैं।

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COVID-19: कोरोना मरीजों की इलाज के लिए प्रोटोकॉल में शामिल की गई ये नई दवा

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खून में थक्का बनने से कई मरीजों की ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट स्ट्रोक (Brain Stroke and Heart Stroke) से मृत्यु हो जाती है। यह वायरस किडनी के साथ-साथ अन्य अंगों को भी तेजी से इन्वाल्व (Involve) करता है। और हीमोग्लोबिन के साथ जुड़कर शरीर की ऑक्सीजन खत्म करने लगता है। इसकी वजह से ज्यादातर मरीज मल्टी ऑर्गन फेल्योर (Multi Organ Failure) का शिकार होकर जान गंवा देते हैं।