हल्द्वानी-सुशीला तिवारी अस्पताल में इस खास तकनीक से होगा कोरोना मरीजों का इलाज, डेथ रेट होगा कम!

उत्तराखंड में अब प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज हो सकेगा। इसके लिए हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में तैयारी शुरू कर दी गई है। जानकारी मुताबिक राजकीय मेडिकल कॉलेज के सुशीला तिवारी अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी के लिए शासन द्वारा भी अनुमति दे दी गई है। चिकित्सकों की माने तो
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हल्द्वानी-सुशीला तिवारी अस्पताल में इस खास तकनीक से होगा कोरोना मरीजों का इलाज, डेथ रेट होगा कम!

उत्तराखंड में अब प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज हो सकेगा। इसके लिए हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में तैयारी शुरू कर दी गई है। जानकारी मुताबिक राजकीय मेडिकल कॉलेज के सुशीला तिवारी अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी के लिए शासन द्वारा भी अनुमति दे दी गई है। चिकित्सकों की माने तो इस प्रयास के बाद प्लाज्मा थेरेपी से गंभीर कोरोना मरीज़ो का इलाज संभंव हो सकेगा।

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हल्द्वानी-सुशीला तिवारी अस्पताल में इस खास तकनीक से होगा कोरोना मरीजों का इलाज, डेथ रेट होगा कम!

बता दें कि कोरोनावायरस के क्रिटिकल या गंभीर मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी बेहद कारगर है। प्रदेश में कोरोनावायरस के बाद प्लाज्मा थेरेपी पहली बार किसी अस्पताल में हो रही है। वही इस थेरेपी के शुरु होने के साथ ही बढ़ते हुए डेथ रेट में राहत आने की उम्मीद जताई जा रही है।

क्या है प्लाज्मा थेरेपी और कैसे करती है काम

दिल्ली में फिलहाल प्लाज्मा डोनेशन का सबसे बड़ा अस्पताल बनाया गया है। प्लाजमा थेरेपी में कोरोनावायरस से ठीक हो चुके व्यक्ति के शरीर से निकाले गए खून से कोरोनावायरस व्यक्तियों का इलाज किया जा सकता है। प्लाज्मा थेरेपी के अब तक के रिजल्ट काफी अच्छे आए हैं और डॉक्टर का कहना है कि जो भी मरीज कोरोनावायरस से संक्रमित होते हैं और पूर्ण स्वस्थ हो जाते हैं उनके शरीर में वायरस के संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाती है।

हल्द्वानी-सुशीला तिवारी अस्पताल में इस खास तकनीक से होगा कोरोना मरीजों का इलाज, डेथ रेट होगा कम!

जो उनके खून में मिल जाती है। कोरोनावायरस से उबरे स्वस्थ व्यक्ति का प्लाज्मा संक्रमित व्यक्ति के शरीर में डालकर इन एंटीबॉडीज के जरिए नए मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को पूरी तरीके से खत्म किया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी सचिव डॉ. पंकज पांडे ने चिकित्सा शिक्षा निदेशक को यह पत्र भेजकर राजकीय मेडिकल कॉलेज में उपचार की अनुमति दे दी है।