विपक्ष के हंगामे से भड़के सीएम योगी, कहा- सबके पेट का दर्द दूर कर दूंगा

न्यूज टुडे नेटवर्क। विधान परिषद में गुरूवार को विपक्ष के हंगामे से नाराज सीएम योगी ने तल्ख भाषा में अपनी बात कही। सीएम योगी ने कहा कि यहां गर्मी दिखाने की जरूरत नहीं सबके पेट का दर्द दूर कर दूंगा। सीएम के यह बात कहते ही विपक्षी सदस्य अपनी सीटों पर खड़े हो गए और
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विपक्ष के हंगामे से भड़के सीएम योगी, कहा- सबके पेट का दर्द दूर कर दूंगा

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। विधान परिषद में गुरूवार को विपक्ष के हंगामे से नाराज सीएम योगी ने तल्‍ख भाषा में अपनी बात कही। सीएम योगी ने कहा कि यहां गर्मी दिखाने की जरूरत नहीं सबके पेट का दर्द दूर कर दूंगा। सीएम के यह बात कहते ही विपक्षी सदस्‍य अपनी सीटों पर खड़े हो गए और सीएम योगी की भाषा पर आपत्ति जताई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण पर बोलने के लिए विधान परिषद पहुंचे थे। इस दौरान विपक्ष के हंगामे पर सीएम ने तल्‍ख भाषा में विपक्ष को निशाने पर लिया।

सीएम योगी ने कहा कि जो लोग गमले में धान उगाते हैं वे भी MSP की बात कर रहे हैं। MSP कभी खत्म नहीं होगी। इस पर सदन में सपा सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। तब CM योगी नाराज हो उठे। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि गर्मी दिखाने की जरूरत नहीं है। सुनने की आदत डालिए, सबके पेट का दर्द दूर कर दूंगा।

यह सुनते ही सपा MLC अपनी-अपनी सीटों से खड़े हो गए और हंगामा करने लगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सदन है। इसके शिष्टाचार को सीखिए फिर बात करिएगा। गर्मी यहां दिखाने की आवश्यकता नहीं है। गर्मी मत दिखाइए। इस पर सपा सदस्यों ने मुख्यमंत्री की भाषा पर आपत्ति दर्ज कराई। योगी ने जवाब देते हुए कहा कि जो जिस भाषा में समझेगा उसी भाषा में समझाएंगे। बोलने की आदत है तो सुनने की आदत डालिए। जिस तरीके से आप लोग बोल रहे हैं, उत्तेजना दिखाने की जरूरत नहीं, जब बारी आएगी तो बोलिएगा।

CM योगी ने कहा कि अगर कोई सोचता है कि विधानसभा में प्रदर्शन करने और चिल्लाने पर उनकी प्रशंसा की जाएगी, तो मुझे लगता है कि उनसे गलती हुई है। लोग इसे सकारात्मक रूप से नहीं लेते हैं। यह हम सभी का कर्तव्य है कि हम अपने आचरण से एक मिसाल कायम करें।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अच्छी चीजों को स्वीकार किया जाता है, बुरी चीजों को छोड़ा जाता है। लेकिन राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान इससे उल्टा देखने को मिला। ऐसे आचरण से लोकतंत्र मजबूत नहीं होता है। जनता को प्रेरित करना हमारा दायित्व है। आजादी से पहले नेता शब्द सम्मानित था, लेकिन आजादी के बाद नेता शब्द का सम्मान खत्म हुआ।