छत्तीसगढ़- सरकारी अस्पतालों में अब गर्भवती महिलाओं की थायराइड व गर्भाशय की जांच मुफ्त
भिलाई- शहर की गर्भवती महिलाओं में थाइराइड की बीमारी आम बात है। सरकारी अस्पताल से लेकर निजी अस्पताल में आनेवाली महिलाओं में 100 में से पांच महिला थाइराइड से परेशान रहती हैं। ऐसे में समय पर इलाज नहीं किया गया तो इसका सीधा असर माता और उसके नवजात पर पड़ता है। जिसके चलते कलेक्टर अंकित आनंद ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया और कहा कि सरकारी अस्पतालों में आने वाली हर गर्भवती की थायराइड जांच होनी चाहिए। भास्कर ने बीते 10 अक्टूबर के अंक में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के दौरान किसी भी गर्भवती की थायराइड जांच नहीं होने का खुलासा किया था। उस वक्त स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया था कि उनके पास थायराइड जांच के लिए अलग से कोई बजट नहीं है।
जिलाधिकारी ने दिए जांच के निर्देश
यह योजना पूरी तरह महिलाओं के लिए है इसका योजना का लाभ उठाने तथा इससे संबंधित परामर्श के लिए महिलाओं को विभाग द्वारा प्रेरित किया जा रहा है। कलेक्टर ने जीवन दीप समिति की मदद से हर एएनसी केस में थायराइड जांच कराने का निर्देश दिया। यही नहीं इस दौरान उन्होंने गर्भाशय कैंसर के जांच के लिए किए जाने वाले पेप स्मीयर जांच की सुविधा भी जल्द ही शुरू करने को कहा है। स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों के मुताबिक अब हर गर्भवती की थायराइड जांच कराई जाएगी। इसके लिए जरूरी बजट जीवन दीप समिति से लिया जाएगा। कलेक्टर से निर्देश मिला है।
जरूर कराएं जांच
प्रेग्नेंसी के दौरान थाइराइड के लक्षण को लेकर डॉक्टरों ने कहा कि कई बार वजन बढऩे, घटने, भूख न लगने जैसी बातें सामने आती है जो इसके लक्षण है। मगर जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आता है। 90 फीसदी महिलाओं में जांच सामान्य आती है लेकिन 10 फीसदी में टीएसएच हारमोन का स्तर बढ़ा होता है। इस हारमोन का स्तर बढ़ने से गर्भस्थ शिशु के दिमाग का विकास प्रभावित होता है। उस स्थिति में फिर दूसरा इलाज अपनाया जाता है। मगर हर हाल में थाइराइड की जांच जरूरी है। थाइराइड होने पर बच्चा मंद बुद्धि पैदा होता है, समय से पहले हो जाता है, माता कमजोर होने लगती है, रक्तस्त्राव की समस्या बढ़ जाती है। कहा कि हर गर्भवती महिला में थारायइड की जांच होनी चाहिए।