छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा फैसला- जिन बीमारियों का सरकारी अस्पतालों में इलाज, उनका अब प्राइवेट को भुगतान नहीं
राज्य सरकार ने नई स्वास्थ्य योजना में बड़ बदलाव किया है। जिन बीमारियों का इलाज सरकारी अस्पताल में उपलब्ध है, उनका निजी अस्पताल में इलाज नहीं नहीं कराया जाएगा। लेकिन आपातकालीन स्थिति में छूट मिलेगी। ये नियम डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना व मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना में लागू होंगे। इस तरह से सरकारी अस्पतालों को आर्थिक रूप से सरकार मजबूत करेगी। सरकार का तर्क है कि जब हमारे पास इलाज की पूरी व्यवस्था है तो उनके लिए निजी अस्पतालों को भुगतान क्यों करें।
नई स्कीम के तहत स्वास्थ्य विभाग दिल और हड्डी के साथ-साथ लगभग हर गंभीर बीमारी का इलाज सरकारी अस्पतालों में बिलकुल फ्री करेगा। अंबेडकर अस्पताल के साथ-साथ छह मेडिकल कॉलेजों में एक साथ दिल का इलाज शुरू किया जाएगा। स्मार्ट कार्ड स्कीम के तहत 650 करोड़ के बजट में आधे से ज्यादा प्राइवेट अस्पतालों को भुगतान हो रहा था। अब इसी बजट का उपयोग सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने में किया जाएगा।
राज्य यूनिवर्सल हेल्थ केयर स्कीम के साथ डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना लांच कर दी गई है। इसमें सरकारी अस्पतालों में लगभग हर गंभीर बीमारी का इलाज फ्री किया जाएगा। ज्यादातर बीमारियों का इलाज सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध होने के बावजूद फ्री स्कीम के बजट का आधे से ज्यादा हिस्सा निजी अस्पतालों में चला जाता है।
ये इलाज होंगे सरकारी अस्पतालों में
नई स्कीम के तहत कार्डियोलॉजी, ऑब्स एंड गायनी, सर्जरी, यूरोलॉजी, ऑर्थोपीडिक, जनरल मेडिसिन, जनरल सर्जरी, ईएनटी, पीडियाट्रिक से संबंधित 115 बीमारियों का इलाज सरकारी अस्पतालों में होगा। दिल से संबंधी बीमारी का इलाज एम्स, एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट एसीआई और नवा रायपुर में सत्य सांई संजीवनी में हो रहा है। अब तक आरएसबीवाय, एमएसबीवाय, संजीवनी सहायता कोष, मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चिरायु, मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना में 180 बीमारी ऐसी थी, जिसका इलाज सरकारी अस्पतालों में होने के बावजूद मरीजों को प्राइवेट अस्पताल भेजा जा रहा था।
प्राइवेट अस्पतालों में कई घपले
स्मार्ट कार्ड और फ्री इलाज की अलग-अलग स्कीम से प्राइवेट अस्पतालों में अब तक कई घपले सामने आ चुके हैं। 2012-13 में सबसे पहले गर्भाशय कांड फूटा था। स्मार्ट से 12-14 हजार लेने के चक्कर में डाक्टरों ने सैकड़ों महिलाओं के गर्भाशय के ऑपरेशन कर दिए। इसका भंडाफोड़ होने के बाद 11 प्राइवेट अस्पताल के डाक्टरों को एक-एक साल के लिए सस्पेंड किया गया। उसके बाद अलग-अलग जिलों में ऐसे घपले सामने आए जब कि मरीज का कार्ड अस्पताल में रखकर फर्जी तरीके से पैसे निकाले गए, जबकि इलाज ही नहीं हुआ। हाल ही में टेढ़े-मेढ़े दांत के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ।
तो इस वजह से लिया राज्य सरकार ने फैसला
पिछली सरकार के रिकॉर्ड को देखते हुए सरकार ने फैसला लिया है। पिछले कार्यकाल में सरकारी अस्पतालों में इलाज उपलब्ध होने के बावजूद भी निजी अस्पतालों से इलाज कराए जाने के कारण निजी अस्पतालों को मोटी रकम चुकानी पड़ी थी। 180 से अधिक ऐसी बीमारियां जिनका इलाज सरकारी अस्पतालों में था संभव उसे भी निजी अस्पताल में कराए जाने से निजी अस्पतालों को लाभ हुआ था। इन बातों का ध्यान रखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है।